करमीआमा में नहीं पहुंच सका स्कूल जतन योजना का प्रकाश, शिक्षक और छात्र दोनों परेशान
कोरबा। प्रदेश सरकार की स्कूल जतन योजना उद्देश्य वहां की व्यवस्था को बेहतर करना था। शहरी क्षेत्र तक ही यह सिमटकर रह गई। ग्रामीण क्षेत्रों में योजना का प्रकाश नहीं पहुंच सका। शायद इसलिए करमीआमा में प्रायमरी की 5 कक्षाएं एक साथ लगाने की मजबूरी है, जबकि मध्यान्ह भोजन बनाने का काम जर्जर हिस्से में चल रहा है।
जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर दूर पोड़ी उपरोड़ा विकास खंड अंतर्गत ग्राम पंचायत पाली के आश्रित मोहल्ला करमीआमा में स्कूल अत्यधिक जर्जर होने से कक्षाओं का संचालन किसान के घर पर हो रहा है। रिकार्ड 3 साल यह व्यवस्था बनी हुई है। शिक्षा विभाग ने पड़ोसी गांव मे ही स्कुल जतन योजना के तहत एक स्कुल का जीर्णोद्धार कराया पर करमीआमा प्राथमिक शाला मरम्मत के लिए वँचित रह गया। अलग- अलग स्तर पर जिला प्रशासन व कलेक्टर जनदर्शन में इस समस्या से अवगत कराया गया लेकिन कोई नतीजे नहीं आ सके। समस्या जस कि तस बनी हुई है।
आंगन को बनाया खेल मैदान
बताया गया कि स्कूल भवन जर्जर होने के कारण विद्यार्थियों की बैठक व्यवस्था गड़बड़ा गई है, जिससे पढ़ाई प्रभावित तो हो रही है। साथ ही निजी भवन में खेल मैदान भी नहीं हैं, बच्चे घर के आँगन मे खेलने को मजबूर हैं। बच्चे भी चाहते हैं कि भवन जल्द से जल्द बने ताकि वे अच्छी शिक्षा प्राप्त कर सके। वही स्कूल के हेड मास्टर का कहना है कि शासकीय भवन पूरी तरह जर्जर हो गया है स्कूल बारिश में गिरने की कगार पर पहुंच गया है इसलिए स्कूल के सामने एक निजी भवन में 3 वर्षों से स्कूल का संचालन करना पड़ रहा है। बताया गया कि मेहमान के आने से भी व्यवस्था बाधित होती है।
मध्यान्ह भोजन के लिए दूसरी व्यवस्था
पुराने भवन के जर्जर होने से खतरें थे, इसलिए बच्चों की पढाई की वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। स्कूल भवन के एक हिस्से में अभी मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है जो अभी कुछ महीनों ही हुए हैं। रसोइयों ने बताया कि पहले मध्यान्ह भोजन के लिए एक निजी मकान का उपयोग किया जा रहा था लेकिन स्कूल भवन खाली होने से अब किचन वहीं शिफ्ट कर दिया गया है। रसोइयों ने बताया कि खतरें तो है पर काम भी करना है।
भविष्य को ध्यान में रख हुई व्यवस्था
जिस निजी मकान में स्कूल संचालित हो रहा है वो मकान रिटायर्ड शिक्षक मोहन सिंग कोराम का है वो अपने सपरिवार के साथ यहां निवास करते हैं। शिक्षक मोहन सिंह ने बताया कि स्कूल की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी थी। स्कूल के शिक्षक डर के साये में बच्चों को पढ़ाया करते थे। बच्चे भी स्कूल जाने से डरते थे। गाव के बच्चों के भविष्य को देखते हुए उन्होंने अपने परिवार से रजामंदी लेकर बच्चों को पढ़ाने के लिए घर का एक हिस्सा दे दिया।
खबर के अनुसार पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक में ऐसे कुछ और स्कूल है जिनका भवन दोयम दर्जे का है और वहां पर खतरें बने हुए है। ऐसे में या तो खतरें के बीच कक्षाएं लगाई जा रही है या फिर दूसरे विकल्प अपनाएं गये है। इस तरह की परेशानी को दूर करने के लिए क्या कुछ कदम उठाए जा रहे है, इस बारे में शिक्षा विभाग से कोई जानकारी नहीं मिल सकी है।