
नई दिल्ली 26 सितम्बर। कश्मीर मुद्दे को हर वर्ष संयुक्त राष्ट्र की सालाना महासभा (यूएनजीए) में उठाने की जुगत में जुटे पाकिस्तान को इस बार मुंह की खानी पड़ी है। पाकिस्तान को सबसे बड़ा झटका उसके मित्र देश तुर्किए के राष्ट्रपति रेसीप एर्दोगन ने दिया है जिन्होंने यूएनजीए में अपने भाषण में कश्मीर का कोई उल्लेख नहीं किया है। जबकि पिछले पांच वर्षों से तुर्किए के राष्ट्रपति लगातार कश्मीर का मुद्दा उठाते रहे हैं। तुर्किए के राष्ट्रपति ने वर्ष 2019 से वर्ष 2923 तक यूएनजीए के हर भाषण में कश्मीर का जिक्र किया और कई बार उन्होंने भारत पर तीखे हमले भी किये हैं। अनुच्छेद 370 समाप्त किए जानते पर एर्दोगेन ने पाकिस्तान का समर्थन करते हुए कहा था कि दक्षिण एशिया में कश्मीर मुद्दे का समाधान किये बिना शांति स्थापित नहीं हो सकती। इसके बाद उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के आधार पर इसके समाधान की मांग की। लेकिन इस साल उन्होंने गाजा का मुद्दा तो उठाया लेकिन कश्मीर का जिक्र नहीं किया। कश्मीर पर पाकिस्तान को पूर्व में मलेशिया से भी मदद मिली है। वर्ष 2019 में तत्कालीन पीएम महाथिर मोहम्मद ने यूएनजीए में अपने भाषण में भारत पर कश्मीर पर कब्जा करने का अनर्गल आरोप लगाया था।
मोहम्मद के बाद मलेशिया के दूसरे पीएम ने ऐसा नहीं किया और ना ही इस वर्ष किये जाने की संभावना है।