नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को टिप्पणी की कि दिल्ली में पेयजल की जबर्दस्त कमी अस्तित्व की समस्या बन गई है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने हिमाचल प्रदेश को निर्देश दिया कि वह शुक्रवार को 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिल्ली के लिए छोड़े और हरियाणा उसे दिल्ली तक पहुंचाने में मदद करे ताकि पानी निर्बाध रूप से दिल्ली पहुंचे और नागरिकों को पेयजल उपलब्ध हो सके। अदालत ने यह भी कहा कि पानी पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।जस्टिस पीके मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि हिमाचल प्रदेश अपने पास उपलब्ध 137 क्यूसेक अतिरिक्त पानी दिल्ली के लिए छोड़ने को तैयार है। एक क्यूसेक (क्यूबिक फीट प्रति सेकेंड) पानी 28.317 लीटर प्रति सेकेंड प्रवाह के बराबर होता है। पीठ ने कहा, चूंकि हिमाचल प्रदेश को कोई आपत्ति नहीं है और वह अपने पास उपलब्ध अतिरिक्त पानी को छोड़ने को तैयार और इच्छुक है, लिहाजा हम निर्देश देते हैं कि हिमाचल प्रदेश अपने पास उपलब्ध अतिरिक्त पानी में से 137 क्यूसेक पानी छोड़ेगा ताकि पानी हथिनीकुंड बैराज और वजीराबाद के रास्ते दिल्ली पहुंच सके। मामले की तात्कालिकता पर विचार करते हुए पीठ ने हिमाचल प्रदेश को निर्देश दिया कि वह हरियाणा को पूर्व सूचना देकर सात जून को पानी छोड़े। साथ ही कहा कि अपर यमुना रिवर बोर्ड (यूवाईआरबी) आगे वजीराबाद एवं दिल्ली को आपूर्ति के लिए हथिनीकुंड पहुंचने वाले अतिरिक्त पानी की मात्रा मापेगा। साथ ही दिल्ली सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा कि सूखी दिल्ली के लिए मिला पानी बर्बाद न हो। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार और हरियाणा व हिमाचल प्रदेश समेत प्रतिवादी सोमवार तक अपने अनुपालन शपथपत्र दाखिल करेंगे।