पुराना जॉब छोडक़र उपार्जन केंद्रों में बने कम्प्यूटर ऑपरेटर, हटाए जाने के साथ अब जीविका का संकट

कोरबा। कोरबा के कलेक्ट्रेट परिसर में पहुंचे यह सभी वे लोग हैं जो पिछले दिनों एक सरकारी टेंडर के आधार पर कोरबा जिले के विभिन्न धार उपार्जन केदो में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर भर्ती किए गए थे। सहकारी समिति कर्मचारी संघ की हड़ताल जारी रहने और धान खरीदने में देरी होने को देखते हुए जल्दबाजी में सरकार के द्वारा विकल्प अपनाया गया। इसके अंतर्गत कंप्यूटर ऑपरेटर की भर्ती की गई और उनसे 15 दिन तक काम भी लिया गया। इस बीच दबाव बढऩे पर कर्मचारियों की हड़ताल खत्म हो गई और फिर टेंडर के निरस्त किए जाने का हवाला देते हुए ऑपरेटरर्स को हटा दिया गया। हरदी बाजार क्षेत्र के एक उपार्जन केंद्र में ऑपरेटर श्वेता तिवारी ने इस बारे में पूरी कहानी बताई। उनका कहना है कि हमसे 15 दिन तक काम लिया और उसका वेतन भी नहीं दिया। पुरानी जगह का जब छोडक़र हम लोग यहां आए थे। इस तरह हमारा काफी नुकसान हुआ है इसकी भरपाई कौन करेगा।
ऑपरेटर यूनियन के एक सदस्य ने बताया कि बहुत कुछ सोच समझकर हम लोगों ने धान खरीदी केदो में काम करना तय किया था। अब अजीब तरह का नियम बताते हुए हमें कम से हटा दिया गया। जबकि सही बात तो यह है कि सरकार नहीं हमारी भारती की थी इसलिए उसे हमारे हित के बारे में सोचना चाहिए। इस पूरे मामले में हम प्रदेश स्तर पर बड़ी लड़ाई लड़ेंगे। यहां पर याद रखना होगा कि कोरबा सहित सभी जिलों में 3500 रुपए प्रति क्विंटल किधर पर धान की खरीदी किसानों से की जा रही है। अनेक स्थानों पर इस तरह की शिकायत आ रही है कि किसानों ने अधिक रकबा में धन लगाया है लेकिन कम रकबा के हिसाब से धान खरीदने की बात की जा रही है। कृषक वर्ग इस वजह से परेशान है। दूसरी ओर ऑपरेटर यूनियन मौजूदा समस्या से परेशान है क्योंकि बहुत सारे मामले में इन लोगों ने काफी कुछ सोच समझकर अच्छा भला जब छोड़ दिया और धान खरीदी केंद्र की जिम्मेदारी संभाल ली। उनका कहना है कि जब भारती यह जाने का टेंडर सरकार के द्वारा ही जारी कराया गया है तो फिर सरकार के लोग पूरी व्यवस्था से कैसे बच सकते हैं।

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