15 बांध में से 2 की मरम्मत करने 5 करोड़ की मिली मंजूरी
कोरबा । जल संसाधन विभाग के द्वारा पुरानी लघु सिंचाई योजनाओं से सिंचाई का रकबा बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा हैं। इसके अंतर्गत 15 योजनाओं का उत्रयन करने बजट में शामिल किया गया था। लेकिन फिलहाल दो योजना सलिहापारा व सेंद्रीपाली के लिए 5 करोड़ की मंजूरी मिली है। दोनों योजनाएं पाली ब्लॉक की है। दोनों जलाशयों से करीब 300 हेक्टेयर में सिंचाई हो सकेगी। इस साल भी 11 ऐसे जलाशय हैं जिसमें पानी का भराव काफी कम हुआ है।
कोरबा जिले में 40 जलाशय हैं। जिनकी सिंचाई क्षमता करीब 15231 हेक्टेयर थी। लेकिन अब यह घटकर 9406 हेक्टेयर हो गई है। 30 साल पुरानी जलाशयों में पानी का भराव कम हो गया हैं। जिसमें ग्राम बताती, नवापारा, डौकाबुड़ा, मलदा, सलिहापारा, बनमुड़ा अंतर्गत के जलाशय शामिल हैं। बताया जा रहा हैं की बताती जलाशय में तो ऊपर से ही पानी नहीं आता। कई स्थानों पर सडक़ और कटाव होने से पानी बहकर दुसरी ओर चला जाता है।
जानकारी के अनुसार सिंचाई की बड़ी लघु योजनाएं जमीन अधिग्रहण और वन भूमि की वजह से आगे नहीं बढ़ पाती। जीसक अंतर्गत अभी तक 5 योजनाएं निरस्त हो चुकी है। 10 साल से अधिक समय से कई योजनाओं के लिए नहरों का विस्तार और मरम्मत भी नहीं हो पा रहा है। जिसके कारण ही सिंचाई का रकबा भी कम होता जा रहा है। इसे बढ़ाने के लिए ही जल संसाधन विभाग ने प्रस्ताव भेजा था।
15 से अधिक योजनाएं बजट में भी शामिल हैं। लेकिन प्रशासकीय मंजूरी नहीं मिलने से प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ पाई। अब जाकर दो जलाशयों की मरम्मत के लिए प्रशासकीय मंजूरी मिली है। इससे नहरों की मरम्मत, गेट में सुधार के साथ कई कार्य कराए जाएंगे। जिले की सबसे बड़ी सिंचाई योजना कटघोरा डायवर्सन के लिए नहर का निर्माण रुका हुआ है। नहर बनने से करीब 2 हजार हेक्टेयर से अधिक सिंचाई का रकबा बढ़ जाएगा। इसके लिए भी मंजूरी मिलने की संभावना जताई जा रही हैं।
बांगो बांध से होती है मात्र 5 हजार हेक्टेयर में सिंचाई
हसदेव बांगो बांध भले ही जिले में स्तापित है। इसकी सिंचाई क्षमता भी चार लाख हेक्टेयर है। लेकिन इससे जिले में मात्र 5 हजार हेक्टेयर में ही सिंचाई कार्य होता हैं। इसका मुख्य कारण नहरों की ऊंचाई खातों से नीचे होना है। इसके लिए ही लिफ्ट इरीगेशन की योजना बनाई गई थी लेकिन मंजूरी नहीं मिली।