जांजगीर । चांपा के स्टेट बैंक में पेंशन मामले के दर्जनों मामले पेंडिंग है। बैंक कर्मचारियों की लापरवाही के चलते परिजनों को दर दर भटकना पड़ रहा है, लेकिन बैंक प्रबंधन को इन सब से कोई सरोकार नहीं है। विडंबना है कि बार बार चक्कर काटने के बाद भी बैंक प्रबंधन ऐसे गंभीर मामले में संजीदा नहीं है। जिसका खामियाजा हितग्राहियों को भुगतना पड़ रहा है। गौरतलब है कि कर्मचारियों को रिटायर होने के बाद उनके आवक का एक मात्र सोर्स पेंशन की राशि होता है। साथ ही पेंशनर के गुजर जाने के बाद परिवार सामाजिक सुरक्षा पेंशन का प्रावधान रहता है। पेंशन जैसे गंभीर मामलों की दर्जनों फाइल बैंकों में धूल खाते पड़ी रहती है, लेकिन बैंक कर्मचारियों के द्वारा काम के बोझ का बहाना बनाकर हितग्राहियों को अनावश्यक घुमाया जाता है। खासकर जिले का सबसे बड़ा ब्रांच एसबीआई चांपा में ऐसे मामलों का बुरा हाल है। हितग्राहियों को छह-छह माह तक भटकाया जा रहा है। बावजूद उन्हें पेंशन नहीं मिल पा रहा है। जबकि सारी फाइल पेंशन शाखा से डिस्पेच कर दी जाती है। बावजूद बैंक प्रबंधन इसे हल्के में लेता है। जिसके चलते लोगों को घर का गुजर बसर करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। क्योंकि घर के मुखिया के गुजर जाने के बाद पेंशन की राशि ही सहारा होता है। हर बैठकों में कड़ी चेतावनी फिर भी लापरवाही बैंक से संबंधित मामलों को लेकर कलेक्टर के द्वारा हमेशा समझाइश दी जाती है कि लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाओं का लाभ हितग्राहियों को तत्पर दी जाए। ताकि उन्हें भटकना न पड़े, लेकिन बैंक के अधिकारी बैठक ने निकलने के बाद दूसरी कान से बैठक में की गई बातों को निकाल देते हैं। ऐसे में लोगों को सरकार की योजनाओं को लाभ मिलना तो दूर उन्हें बार बार भटकाया जाता है। पेंशन के एक मामले में एक पीडि़ता बीते पांच माह से बैंक का चक्कर काटने मजबूर है, लेकिन एसबीआई चांपा का संबंधित शाखा का मैनेजर सिर्फ फाइल खंगालने में जुटा है लेकिन उसकी समस्या दूर नहीं हो पा रही है। बैंक प्रबंधक का कहना है कि फाइल खुलवा रहे हंै। पेंशन मामले में बैंक प्रबंधकों द्वारा ऐसी लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। हो सकता है कुछ कागजात महालेखागार से नहीं आया हो, जिसके चलते पेंशन शुरू नहीं हुआ होगा।