
अंबिकापुर। चुनावी शोरगुल में जन समस्याओं की सुनवाई नहीं हो रही है। अंबिकापुर शहर में खस्ताहाल हो चुकी सडक़ों के कारण धूल से लोग बेहाल हैं। मरम्मत का काम चुनाव आचार संहिता के पहले आरंभ हुआ था लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। धूल के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों ने पहले ध्यान नहीं दिया और अब अधिकारी जनप्रतिनिधियों की सुन नहीं रहे। नागरिक अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं तो किसी भी नागरिक का अधिकारी फोन रिसीव नहीं कर रहे। धूल से शहर की अधिकांश आंतरिक सडक़ों पर चलना मुश्किल हो गया है।
सुबह लोग बच्चों को लेकर स्कूल आते जाते हैं तब धूल और गर्दे से परेशानी होती है। पूरे दिन उड़ती धूल ने लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। नवरात्र के समय शहर के मायापुर चांदनी चौक से लेकर घुटरापारा मार्ग को दुरुस्त करने की मांग भी क्षेत्र के पार्षद ने की थी किंतु अधिकारियों ने आचार संहिता का हवाला दे अनदेखा कर दिया। बरसात में इस सडक़ पर बने गढ्ढों में क्रशर डस्ट डाल दिया गया था जो अब धूल का गुबार बनकर लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है। इस मार्ग से हर रोज हजारों लोगों का आना जाना होता है। पूरे दिन धूल का गुबार उड़ता रहता है जिससे आसपास के रहवासी तो परेशान हैं ही राहगीरों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। नागरिकों के कपड़ों के बुराहाल है। इस मार्ग को छोडक़र अधिकांश लोग महामाया मंदिर मार्ग से आवागमन करते हैं किंतु इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए मार्ग छोडऩा आसान नहीं है। इस मार्ग में साफ सफाई की भी व्यवस्था नहीं की जाती। धूल को हटाने न तो झाड़ू लगाया जाता है और न ही जहां धूल के गुबार उठ रहा है वहां पानी डालकर उसे कम करने का प्रयास किया किया जा रहा है। चुनाव आचार संहिता का हवाला दे अधिकारी नागरिकों को मुसीबत में डालने का काम कर रहे हैं।
जन सुविधाओं का ख्याल नहीं रख रहे। उड़ती धूल से जहां नागरिक परेशान हैं वहीं अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं रह गया है। दिन भर में दो-चार बार पानी का छिडक़ाव ही कर देते तो राहत मिल जाती पर अधिकारियों को सिर्फ आचार संहिता का बड़ा बहाना मिल चुका है। मायापुर ,घुटरापारा क्षेत्र के नागरिकों में भारी आक्रोश है। लोग अब क्षेत्र के पार्षदों पर दबाव बना रहे हैं। पार्षद पार्षदों के द्वारा नगर निगम के अधिकारियों से आग्रह भी किया जा रहा है पर आचार संहिता के नाम पर जन सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है। अब तो नागरिक कहने लगे हैं कि क्या आचार संहिता में लोगों की परेशानी दूर करने पर भी प्रतिबंध है।
अंबिकापुर। चुनावी शोरगुल में जन समस्याओं की सुनवाई नहीं हो रही है। अंबिकापुर शहर में खस्ताहाल हो चुकी सडक़ों के कारण धूल से लोग बेहाल हैं। मरम्मत का काम चुनाव आचार संहिता के पहले आरंभ हुआ था लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया। धूल के कारण लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों ने पहले ध्यान नहीं दिया और अब अधिकारी जनप्रतिनिधियों की सुन नहीं रहे। नागरिक अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं तो किसी भी नागरिक का अधिकारी फोन रिसीव नहीं कर रहे। धूल से शहर की अधिकांश आंतरिक सडक़ों पर चलना मुश्किल हो गया है।
सुबह लोग बच्चों को लेकर स्कूल आते जाते हैं तब धूल और गर्दे से परेशानी होती है। पूरे दिन उड़ती धूल ने लोगों को मुसीबत में डाल दिया है। नवरात्र के समय शहर के मायापुर चांदनी चौक से लेकर घुटरापारा मार्ग को दुरुस्त करने की मांग भी क्षेत्र के पार्षद ने की थी किंतु अधिकारियों ने आचार संहिता का हवाला दे अनदेखा कर दिया। बरसात में इस सडक़ पर बने गढ्ढों में क्रशर डस्ट डाल दिया गया था जो अब धूल का गुबार बनकर लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है। इस मार्ग से हर रोज हजारों लोगों का आना जाना होता है। पूरे दिन धूल का गुबार उड़ता रहता है जिससे आसपास के रहवासी तो परेशान हैं ही राहगीरों के लिए मुसीबत खड़ी हो गई है। नागरिकों के कपड़ों के बुराहाल है। इस मार्ग को छोडक़र अधिकांश लोग महामाया मंदिर मार्ग से आवागमन करते हैं किंतु इस क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए मार्ग छोडऩा आसान नहीं है। इस मार्ग में साफ सफाई की भी व्यवस्था नहीं की जाती। धूल को हटाने न तो झाड़ू लगाया जाता है और न ही जहां धूल के गुबार उठ रहा है वहां पानी डालकर उसे कम करने का प्रयास किया किया जा रहा है। चुनाव आचार संहिता का हवाला दे अधिकारी नागरिकों को मुसीबत में डालने का काम कर रहे हैं।
जन सुविधाओं का ख्याल नहीं रख रहे। उड़ती धूल से जहां नागरिक परेशान हैं वहीं अधिकारियों को इससे कोई लेना-देना नहीं रह गया है। दिन भर में दो-चार बार पानी का छिडक़ाव ही कर देते तो राहत मिल जाती पर अधिकारियों को सिर्फ आचार संहिता का बड़ा बहाना मिल चुका है। मायापुर ,घुटरापारा क्षेत्र के नागरिकों में भारी आक्रोश है। लोग अब क्षेत्र के पार्षदों पर दबाव बना रहे हैं। पार्षद पार्षदों के द्वारा नगर निगम के अधिकारियों से आग्रह भी किया जा रहा है पर आचार संहिता के नाम पर जन सुविधाओं की अनदेखी की जा रही है। अब तो नागरिक कहने लगे हैं कि क्या आचार संहिता में लोगों की परेशानी दूर करने पर भी प्रतिबंध है।