नईदिल्ली, 0५ नवंबर ।
प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि गणपति पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के उनके घर आने में कुछ भी गलत नहीं है। साथ ही कहा कि ऐसे मामलों पर राजनीति के क्षेत्र में परिपक्वता की भावना होनी चाहिए। जजों पर संदेह करना व्यवस्था को बदनाम करना है। एक अंग्रेजी दैनिक के कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, गणपति पूजा के लिए प्रधानमंत्री मेरे घर आए थे। इसमें कतई कुछ गलत नहीं है, क्योंकि सामाजिक स्तर पर न्यायपालिका एवं कार्यपालिका के बीच मुलाकातें होती रहती हैं। हम राष्ट्रपति भवन, गणतंत्र दिवस इत्यादि पर मिलते हैं। हम प्रधानमंत्री और मंत्रियों से बातचीत करते हैं। इस बातचीत में वो मामले शामिल नहीं होते जिन पर हम फैसला करते हैं, बल्कि जिंदगी और समाज को लेकर सामान्य बातचीत होती है। प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि किसी को भी मजबूत अंतर-संस्थागत तंत्र के हिस्से के रूप में हुई बातचीत का सम्मान करना चाहिए और न्यायपालिका व कार्यपालिका के बीच शक्तियों के विभाजन का यह मतलब नहीं है कि दोनों मिल नहीं सकते।
उन्होंने कहा, शक्तियों के विभाजन का मतलब यह है कि न्यायपालिका को कार्यपालिका की भूमिका नहीं निभानी चाहिए, जो नीतियां निर्धारित करती है, क्योंकि नीति बनाने की शक्ति सरकार के पास है। उन्होंने कहा, इसी तरह कार्यपालिका मामलों का फैसला नहीं करती है। इसलिए जब तक हम इसे ध्यान में रखते हैं। संवाद होना चाहिए, क्योंकि आप न्यायपालिका में लोगों के करियर और जीवन से निपट रहे हैं।
सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच संवाद का इस बात से कोई लेना-देना नहीं है कि मामलों का फैसला कैसे किया जाता है। सीजेआई ने कहा, यह मेरा अनुभव रहा है। अयोध्या में राम मंदिर मामले के समाधान के लिए उन्होंने भगवान से प्रार्थना की थी, अपने इस बयान पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि वह आस्थावान व्यक्ति हैं और सभी धर्मों का समान रूप से आदर करते हैं। 2018 में तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट के चार जजों द्वारा प्रेस कान्फ्रेंस करने पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि संस्थागत अनुशासन कायम रखा जाना चाहिए। अगले प्रधान न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना के संबंध में उन्होंने कहा कि वह शांत व्यक्ति हैं और गंभीर टकराव की स्थिति में भी मुस्करा सकते हैं। उनकी (जस्टिस चंद्रचूड़) सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष अदालत सुरक्षित हाथों में है।