तनाव और दबाव में काम करने को मजबूर आउट सोर्सिंग कंपनियां
कोरबा। जिले के गेवरा, दीपका, और कुष्मांडा क्षेत्र में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (एसईसीएल) द्वारा आउटसोर्सिंग के तहत बड़े ठेके कंपनियों को दिए गए हैं। यह परियोजनाएं स्थानीय लोगों को रोजगार प्रदान कर रही हैं, जबकि कंपनी का कामकाज भी अधिक सुव्यवस्थित हुआ है। नियमानुसार, इन कार्यों में नियोजित कर्मचारियों को वेतन और सुविधाएं दी जा रही हैं।
हालांकि, आउटसोर्सिंग कंपनियों के सामने कई समस्याएं आ रही हैं। बताया गया है कि स्थानीय लोग जातिगत आधार पर अनुचित दबाव डाल रहे हैं, रोजगार देने और अन्य मांगे पूरी करने की मांग कर रहे हैं। जब प्रबंधन उनकी मांगों को पूरा करने में असमर्थता जताता है, तो उन्हें परेशान किया जाता है और थानों में शिकायतें की जाती हैं। ऐसे कदमों से ठेका कंपनियां और उनके प्रबंधन पर दबाव बनाया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, कुछ लोग इस स्थिति का लाभ उठाकर अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिए झूठी शिकायतें कर रहे हैं। इसका परिणाम यह है कि ठेका कंपनियों और उनके प्रबंधन पर अनावश्यक तनाव बढ़ रहा है। इस संदर्भ में मांग की जा रही है कि प्रशासन, पुलिस और सरकार ऐसी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए कदम उठाए और नियमों में आवश्यक संशोधन करे ताकि आउटसोर्सिंग कार्य बाधित न हों और कंपनियों को कार्यस्थल पर समर्थन मिले।
काम करें या लगाएं चक्कर
गेवरा और दीपिका क्षेत्र में साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड की बड़ी खदान संचालित हो रही है। गेवरा विश्व की सबसे बड़ी कोयला खदान बन चुकी है जबकि कुसमुंडा को मेगा माइंस का दर्जा देने के साथ यहां पर उत्पादन संबंधी गतिविधियों में बढ़ोतरी हुई है। राष्ट्र की ऊर्जा आवश्यकता के लिए खदानों पर बड़ी जिम्मेदारी है। इसे पूरा करने के लिए वहां के अधिकारियों कर्मचारियों के साथ-साथ श्रमिक अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं। हाल में ही नियम विरुद्ध तरीके से रोजगार के लिए प्रेशर बनाने का काम कुछ लोगों ने कलिंगा नामक कंपनी पर किया। कुछ दिन पहले हड़ताल की। जब इसका असर नही हुआ तो प्रबन्धन से जुड़े व्यक्ति के बारे में विशेष थाना में फर्जी शिकायत कर दी। संबंधित ने बताया कि ऐसा कोई मामला हुआ ही नहीं लेकिन थाना की ओर से नोटिस दिया गया है। ऐसे में नियमित कामकाज के बजाय यहां वहां के चक्कर लगाकर परेशान होना पड़ता है।