कोरबा। भले ही पानी पर काम करने वाली कंपनियों तरह-तरह के उपकरणों को लेकर मार्केटिंग कर रही है और लोगों को इसके बारे में बता रही है। लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति अलग है। दूर जाने की जरूरत नहीं। रूमगरा और जामबहार के बीच अभी भी ग्रामीणों की रसोई से लेकर दूसरे कार्यों के लिए ढोढ़ी का पानी सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है।
तरुण छत्तीसगढ़ के पास इस तरह की तस्वीर एक पाठक ने साझा की। जिसमें एक महिला को खेत के बीच बनी ढोढ़ी से पानी लेकर आगे जाते हुए देखा जा रहा है। बताया गया कि ऐसी अनेक ढोढ़ी इस इलाके में मौजूद हैं जिनके जरिए लोगों की जरूरत पूरी हो रही है। सबसे बड़ी बात यह है कि आधुनिक जमाने में जब शुद्धिकृत पानी को लेकर दावे किये जा रहे हैं। इसके उल्टे लोग अभी भी परंपरागत तरीकों पर निर्भर हैं और बिना किसी समस्या के। लोग बताते हैं कि इन साधनों को अपनाने के बावजूद वे न तो कभी संकट पर पड़ी और न ही आलोचना झेलनी पड़ी।