
कोलकाता, २४ नवंबर ।
बंगाल विधानसभा उपचुनाव में सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने सभी छह सीटें जीत ली हैं। 2021 के विस चुनाव में तृणमूल ने इनमें से पांच (सिताई, नैहाटी, हारोआ, मेदिनीपुर व तालडांगरा) पर जीत दर्ज की थी, जबकि मदारीहाट भाजपा की झोली में गई थी।इस बार तृणमूल ने उस सीट पर भी पहली बार कब्जा जमाया है। मालूम हो कि कोलकाता के आरजी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर से दरिंदगी की घटना के बाद राज्य में यह पहला चुनाव था, जिसे सत्ताधारी पार्टी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण बताया जा रहा था। हालांकि नतीजों पर आरजी कर कांड का कोई असर नहीं दिखा। बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने जीत के लिए मां-माटी-मानुष को धन्यवाद दिया। साथ ही भाजपा पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए कहा, हम जमींदार नहीं बल्कि लोगों के पहरेदार हैं। दूसरी तरफ बंगाल भाजपा के सह-प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि ममता के लिए यह खून से सनी जीत है। उन्होंने कहा कि हालिया संपन्न चुनावों में बंगाल एकमात्र राज्य है, जहां राजनीतिक हिंसा व मौतें हुई हैं। चुनाव आयोग जब तक अतिरिक्त प्रयास करके स्वतंत्र व निष्पक्ष मतदान सुनिश्चित नहीं करेगा, स्थानीय प्रशासन पर लगाम नहीं कसेगा, तब तक बंगाल में ठीक से चुनाव नहीं हो सकेंगे। बंगाल की छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव में माकपा के नेतृत्व वाले वाममोर्चा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की जमानत तक नहीं बची। इस बार उनके बीच कोई घोषित या अघोषित गठबंधन नहीं था। दोनों ने अपने प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन अकेले लडऩे पर भी स्थिति नहीं बदली। दूसरा व तीसरा स्थान तो दूर, वाममोर्चा व कांग्रेस प्रत्याशियों का कुछ सीटों पर नोटा से मुकाबला दिखा। कुछ सीटों पर एक समय ऐसा लगा कि वाममोर्चा-कांग्रेस को नोटा से भी कम वोट मिलेगा।
मदारीहाट सीट पर एक बार फिर वामपंथी दल आरएसपी और कांग्रेस की स्थिति एक जैसी रही। मदारीहाट में नोटा को 2,856 वोट मिले, वहीं आरएसपी और कांग्रेस को क्रमश: 3,412 और 3,023 वोट मिले। सिताई में फॉरवर्ड ब्लॉक को 3,319 और नोटा को 1,317 वोट मिले। मेदिनीपुर में छठे और सातवें राउंड की गिनती में कांग्रेस नोटा से पीछे रह गई। मेदिनीपुर में नोटा के पक्ष में 2,624 और कांग्रेस को 3,959 वोट मिले। अंत में कांग्रेस डेढ़ हजार से ज्यादा वोटों से नोटा से पीछे रह गई। तालडांगरा में कांग्रेस प्रत्याशी ने स्पष्ट रूप से नोटा से ही लड़ाई लड़ी। कभी नोटा से पिछड़ जाते तो कभी नोटा को पीछे छोडक़र आगे बढ़ जाते। बंगाल कांग्रेस प्रवक्ता सुमन राय चौधरी ने कांग्रेस की संगठनात्मक कमजोरी को स्वीकार किया। हालांकि, पार्टी की हार के लिए तृणमूल और भाजपा को भी जिम्मेदार ठहराया।