कोलकाता, १९ अक्टूबर ।
23 साल पहले आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में मेडिकल छात्र सौमित्र बिस्वास की मौत के मामले की फाइल को फिर से खोलने के लिए उनके भाई शांतनु बिश्वास ने राज्य से सरकार से अनुरोध किया है। बता दें कि मेडिकल छात्र सौमित्र बिस्वास का शव अस्पताल के हॉस्टल में फंदे से लटका मिला था। पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि सौमित्र ने आत्महत्या की है। लेकिन मृत छात्र की मां को इस पर विश्वास नहीं था और उन्होंने इसके खिलाफ हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उनका आरोप था कि हॉस्टल में अश्लील फिल्म की शूटिंग का विरोध करने पर सौमित्र को जान से हाथ धोना पड़ा था। तब तत्कालीन वाममोर्चा सरकार पर मामले को रफा-दफा करने का आरोप लगा था। टीएमसी सांसद पार्थ भौमिक ने कहा कि वह इस मामले को लेकर वकीलों से बात करेंगे। आरजी कर अस्पताल के छह और डॉक्टर वित्तीय अनियमितताओं के सिलसिले में सीबीआई की जांच के घेरे में हैं। इससे पहले सीबीआई ने इन छह डॉक्टरों में से कुछ से पूछताछ की थी। सूत्रों ने बताया कि सीबीआई अधिकारी इन छह डॉक्टरों के खिलाफ अपने निष्कर्षों के बारे में बंगाल सरकार को सूचित करेंगे, ताकि राज्य सरकार निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें उनके पदों से हटा सके।इससे पहले सीबीआई ने इन छह डॉक्टरों में से कुछ से पूछताछ की थी। जांच अधिकारियों ने वित्तीय अनियमितताओं के मामले में इन छह डॉक्टरों की संलिप्तता के कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज भी हासिल किए हैं। मालूम हो कि अस्पताल के पूर्व उपाधीक्षक डा. अख्तर अली ने घोष व अन्य के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगाए थे। सीबीआई ने बंगाल के स्वास्थ्य सचिव नारायण स्वरूप निगम को एक पत्र लिखकर जानकारी मांगी कि आरजी कर अस्पताल भ्रष्टाचार मामले में शामिल अधिकारी अभी भी चिकित्सा प्रतिष्ठान में महत्वपूर्ण पदों पर क्यों बने हुए हैं। कलकत्ता हाई कोर्ट ने 23 अगस्त को अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की जांच राज्य द्वारा गठित विशेष जांच दल से केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। एजेंसी ने निगम को लिखे पत्र में सवाल किया कि दो चिकित्सक देबाशीष सोम और सुजाता घोष अब भी अपने-अपने पदों पर क्यों बने हुए हैं।