नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए शुक्रवार को एक लड़की के माता-पिता की याचिका को खारिज कर दिया कि बच्चा कोई संपत्ति नहीं है। माता-पिता ने अपनी बेटी के पार्टनर के खिलाफ इस आधार पर आपराधिक कार्रवाई करने की मांग की थी कि विवाह के समय वह नाबालिग थी। प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और संजय कुमार की पीठ ने कहा कि शादी के समय लड़की नाबालिग नहीं थी। सीजेआइ ने कहा, आपको कैद करने का अधिकार नहीं है। आप अपनी वयस्क बेटी के रिश्ते को स्वीकार नहीं कर रहे हैं। आप अपनी बेटी को एक संपत्ति मानते हैं। वह संपत्ति नहीं है। अपनी बालिग बेटी की शादी को स्वीकार करें।
पीठ ने माता-पिता द्वारा प्रस्तुत जन्म तिथि प्रमाणपत्र में विसंगतियों का उल्लेख किया और कहा कि वह इस मामले को आगे नहीं बढ़ा रही है। वह हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की इच्छुक नहीं है। 16 अगस्त को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ ने नाबालिग के कथित अपहरण और यौन उत्पीड़न से जुड़े एक मामले में एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज एफआइआर को खारिज कर दिया था।