बराक। घाटी बांग्लादेश में हिंदुओं की हालत लगातार खराब होती जा रही है। यहां मोहम्मद युनूस की सरकार के बनने के बाद कट्टरपंथी संगठनों के हौसले और भी ज्यादा बुलंद हो गए हैं। अब ये संगठन हिंदुओं को पूजा-अर्चना करने से भी रोक रहे हैं। लगातार हिंदू मंदिरों पर हमले किए जा रहे हैं। बीते कुछ दिन पहले बांग्लादेश में भारत के ध्वज का भी अपमान किया गया था। जिसके बाद भारत के अलग-अलग राज्यों में बांग्लादेश के विरोध में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। अब असम की बराक घाटी के होटलों ने कड़ा फैसला लिया है। उनका कहना है कि जबतक पड़ोसी देश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले बंद नहीं हो जाते, तब तक वे किसी भी बांग्लादेशी नागरिक की मेजबानी नहीं करेंगे। अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार करना बांग्लादेशियों को भारी पडऩे वाला है। नवरात्रि के समय पंडालों पर भारी भरकम टैक्स लगाना और अब इस्कॉन मंदिर के मुखिया के साथ हुए अत्याचार की चिंगारी भारत में भी सुलगने लगी है।
इससे पहले, पूर्वोत्तर राज्य त्रिपुरा ने बड़ा एलान किया थ। राज्य के होटल-रेस्टोरेंट संघ ने कहा था कि बांग्लादेशी नागरिकों को राज्य के होटलों में रुकने की अनुमति नहीं दी जाएगी। साथ ही साथ कोई रेस्तरां उन्हें भोजन भी नहीं देगा।अब इसमें असम की बराक घाटी का नाम भी शामिल हो गया है। घाटी में तीन जिले कछार, श्रीभूमि (पूर्व में करीमगंज) और हेलाकांडी शामिल हैं।
यह बांग्लादेश के सिलहट क्षेत्र के साथ 129 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करती है। बराक घाटी होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष बाबुल राय ने कहा, बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की स्थिति चिंताजनक है। हम इसे किसी भी तरह से स्वीकार नहीं कर सकते। इसलिए हमने बराक घाटी के तीनों जिलों में उस देश के किसी भी नागरिक की मेजबानी तब तक रोकने का फैसला किया है जब तक कि स्थिति में सुधार नहीं होता और हिंदुओं पर अत्याचार बंद नहीं हो जाता। यह हमारे विरोध का तरीका है। उन्होंने आगे कहा कि बांग्लादेश के लोगों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में स्थिरता लौटे। स्थिति में सुधार होने पर ही हम अपने फैसले पर पुनर्विचार कर सकते हैं। कुछ दिन पहले बजरंग दल ने सिलचर में चल रहे ग्लोबल एक्सपो के आयोजकों से पड़ोसी देश में हिंदुओं पर अत्याचार के विरोध में बांग्लादेशी उत्पादों की बिक्री करने वाले दो स्टॉल बंद करने के लिए कहा था। उनकी मांग मान ली गई है। बजरंग दल के प्रदर्शनकारी सिलचर में बांग्लादेश वीजा सेंटर भी गए थे और मांग की थी कि साइनबोर्ड से ‘बांग्लादेश’ नाम हटा दिया जाए। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर कथित अत्याचार और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी के खिलाफ बराक घाटी के सभी तीन जिलों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए हैं।