
ढाका, १९ जुलाई ।
बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ गुरुवार को छात्रों के देशव्यापी बंद के दौरान हुई हिंसक घटनाओं में 18 लोगों की मौत हो गई, जबकि 2,500 से अधिक लोग घायल हो गए। दो दिन से जारी हिंसक झड़पों में मरने वालों की संख्या बढक़र 25 हो गई है। ढाका में लाठियों और पत्थरों से लैस हजारों छात्र सशस्त्र पुलिस बलों से भिड़ गए। चटगांव में राजमार्ग को अवरुद्ध करने वाले छात्रों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले भी छोड़े। प्रदर्शन को दबाने के लिए कई स्थानों पर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। बढ़ती ङ्क्षहसा के कारण अधिकारियों को गुरुवार दोपहर से ढाका आने-जाने वाली रेलवे सेवाओं के साथ-साथ राजधानी में मेट्रो रेल सेवा को भी बंद करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों ने ढाका के रामपुरा इलाके में सरकारी बांग्लादेश टेलीविजन भवन की घेराबंदी कर दी। सामने के हिस्से को क्षतिग्रस्त कर दिया। कई वाहनों को आग लगा दी गई। पत्रकारों सहित लगभग 1,200 कर्मचारी अंदर ही फंस गए थे।
हालात को देखते हुए देशभर में बार्डर गार्ड बांग्लादेश के जवानों को तैनात किया गया है। इससे पहले, बड़े पैमाने पर प्रसारित होने वाले प्रोथोम अलो अखबार ने बताया था कि 11 लोगों की मौत की खबर है। इनमें से नौ मौतें ढाका में हुई हैं जबकि एक राजधानी के बाहरी इलाके सावर में और एक दक्षिण-पश्चिमी मदारीपुर जिले में हुई है। निजी सोमाय टेलीविजन चैनल ने कहा कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए रबर की गोलियां, आंसू गैस और ध्वनि ग्रेनेड का इस्तेमाल जारी रखा।
मरने वालों में अधिकांश छात्र हैं।कानून मंत्री अनीसुल हक ने कहा है कि सरकार प्रदर्शनकारियों से बात करने को तैयार है। छात्र चाहते हैं कि राज्य उन लोगों के परिवारों के लिए 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण बंद करे जो 1971 में मुक्ति संग्राम से जुड़े हैं। इस बीच, भारतीय उच्चायोग ने बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों और छात्रों के लिए सलाह जारी की है। उन्होंने गैर-जरूरी यात्रा से बचने और अपने आवासों के बाहर आवाजाही को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाने के लिए कहा है।बांग्लादेश में जारी ङ्क्षहसा के बीच 300 से अधिक भारतीय, नेपाली और भूटानी नागरिक मेघालय में प्रवेश कर गए। इनमें अधिकांश छात्र हैं। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में ङ्क्षहसा के कारण फंसे 310 भारतीय, नेपाली और भूटानी डाउकी इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट के जरिए भारत आ गए हैं। इनमें 202 भारतीय, 101 नेपाली और सात भूटानी नागरिक हैं। उधर, असम की सरकार ने कहा है कि वह पड़ोसी देश में रह रहे अपने लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए विदेश मंत्रालय के संपर्क में है।