ढाका, १६ दिसम्बर ।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना पर आरोप लगे हैं कि वो बांग्लादेश में लोगों को गायब करने में शामिल हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार द्वारा गठित एक जांच आयोग ने कहा है कि उसे सबूत मिले हैं कि बांग्लादेश में लोगों को गायब होने के पीछे अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके शासन के शीर्ष सैन्य और पुलिस अधिकारी हैं। में जबरन गायब करने की घटनाओं की जांच करने वाले पांच सदस्यीय आयोग ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुहम्मद यूनुस के मुख्य सलाहकार को सत्य का खुलासा शीर्षक से एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपी। आयोग ने अनुमान लगाया कि देशभर में 3500 से अधिक जबरन गायब करने की घटनाएं हुई हैं।रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीना के रक्षा सलाहकार मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी, राष्ट्रीय दूरसंचार निगरानी केंद्र के पूर्व महानिदेशक और बर्खास्त मेजर जनरल जियाउल अहसानंद, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोनिरुल इस्लाम और मोहम्मद हारुन-ओर-रशीद और कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी उन घटनाओं में शामिल पाए गए।उधर, पूर्व सैन्य और पुलिस अधिकारी भी फरार हैं, माना जा रहा है कि वो हसीना की अवामी लीग सरकार के गिरने के बाद विदेश भाग गए हैं।आयोग के अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मैनुल इस्लाम चौधरी ने यूनुस सरकार को बताया कि जांच के दौरान उन्हें एक व्यवस्थित डिजाइन मिला, जिसने जबरन गायब होने की घटनाओं को अनदेखा कर दिया।चौधरी ने कहा कि जबरन गायब करने वाले व्यक्तियों को पीडि़तों के बारे में जानकारी नहीं थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) ने पीडि़तों को पकडऩे, प्रताडि़त करने और हिरासत में रखने का काम किया है। आयोग ने आतंकवाद-रोधी अधिनियम 2009 को खत्म करने या उसमें व्यापक संशोधन करने के साथ-साथ आरएबी को खत्म करने का प्रस्ताव रखा। आयोग के सदस्य सज्जाद हुसैन ने कहा कि उन्होंने जबरन गायब किए जाने की 1676 शिकायतें दर्ज की हैं और अब तक उनमें से 758 की जांच की है। इनमें से 200 लोग कभी वापस नहीं लौटे जबकि जो वापस लौटे उनमें से ज्यादातर को रिकॉर्ड में गिरफ्तार दिखाया गया।