
कंपनी की स्वार्थसिद्धि का खामियाजा भुगत रही जनता
कोरबा। बिजली घरों में उत्पादन के लिए प्रतिदिन डेढ़ लाख टन कोयला का उपयोग करने के बाद लगभग एक चौथाई मात्रा राख के रूप में उत्सर्जित हो रही है। इसके सुरक्षित निपटान और शत्-प्रतिशत उपयोग की सुनिश्चितता का निर्देश एनजीटी के साथ सरकार ने दिया है। कोरबा जिले में निर्देशों की धज्जियां काफी समय से उड़ रही है। ताजा मामला कोरबा तहसील के अंतर्गत ढेंगुरनाला में राख पाटने का है। बारिश के मौसम में दबाव से राख ने रूख बदला तो आसपास के इलाके में रहने वाली जनता का निस्तार बाधित हो गया। अब प्रकरण को प्रशासन की जानकारी में लाया गया है ताकि वह उचित कार्रवाई करे। सूचनाओं के अनुसार जिन कारणों से समस्या उत्पन्न हुई उसके पीछे पूरा किया धरा छत्तीसगढ़ में रजिस्टर्ड ब्लैक स्मिथ नामक कंपनी का बताया जा रहा है। उसने पिछली सरकार के दौरान 1200 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता वाले पावर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ को डंप करने का टेंडर लिया था और जिम्मेदारी के साथ पूरा करने की बात कही थी। कंपनी ने लोकल ट्रांसपोर्टर्स को अपने साथ इस काम में जोड़ा। दोनों पक्षों ने जरूरत से ज्यादा लाभ की संभावना तलाशी और इस हिसाब से काम करने पर ध्यान दिया। बताया गया कि ट्रांसपोर्टर्स ने पावर प्लांट के ऐश पौंड से फ्लाई ऐश को उठाने के साथ उसे सुरक्षित भंडारित करने के बजाय नजदीकी क्षेत्र में डंप कर दिया ताकि परिवहन व्यय बचे और अपने हाथ में ज्यादा मार्जिन आए। इस चक्कर में बड़ी मात्रा में राख को बालकोनगर के आगे ढेंगुरनाला के आसपास डंप कर दिया गया। उस समय आंशिक रूप से इसका विरोध किया गया लेकिन बात नहीं बनी। जानकारी के अनुसार सैकड़ों ट्रीप फ्लाई ऐश को यहां पर डंप किया गया जिससे नाला के आसपास राख ही राख का जमावड़ा हो गया। बारिश के मौसम में इस क्षेत्र में कटाव की स्थिति निर्मित हुई और इसके साथ मौके से राख की बड़ी मात्रा ढेंगुरनाला में जा घुसी। पानी के साथ मिलकर यह राख बड़े हिस्से को प्रभावित कर रही है। ऐसे में बालकोनगर के सतनाम नगर से लेकर कोरबा के बेलगरी बस्ती और मानस नगर इलाके में रहने वाले लोग परेशानी में हैं। कारण यह है कि इस क्षेत्र में जनता के साथ-साथ मवेशियों की निर्भरता ढेंगुरनाला के पानी पर बनी हुई है। प्रदूषित पानी के आने से एक तो वे डरे हुए हैं और ऐसे में चाहकर भी निस्तार नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने फ्लाई ऐश युक्त पानी का उपयोग करने से दो तरफा नुकसान होने की आशंका जताई है। कहा गया है कि पूर्व की लापरवाही जिस कंपनी के द्वारा की गई उसके विरूद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए।
जल प्रदूषण भी बड़ी समस्या
प्रदेश के प्रदूषित नगरों में कोरबा का नाम शुमार है। वायु और ध्वनि प्रदूषण की समस्या काफी समय से यहां पर कायम है। इसे निराकृत करने के लिए सुझाव भी दिए गए और कार्रवाई करने को कहा गया। यह काम भले ही अब तक नहीं हो सका लेकिन अब जल प्रदूषण की एक और समस्या ने लोगों को मुश्किल में डाल दिया है। बताया जा रहा है कि भले ही दूसरे शहरों की तरह यहां के जल स्त्रोतों में उद्योगों का उपशिष्ट नहीं डाला जा रहा है लेकिन नालों में फ्लाई ऐश को बहाने से समस्या विकराल हो गई है।