
शहर की सडक़ों पर सुबह से रात तक जारी है गतिविधियां
कोरबा। सुशासन के नारे पर अपना काम कर रही प्रदेश सरकार कई प्रकार के रिकॉर्ड जरूर बना रही है लेकिन बहुत सारे मामलों में अभी भी सुधार की जरूरत है। कोरबा जिले में भले ही कई प्रकार के अवैध कार्य कार्यों में बंद हो गए हैं लेकिन कई काम ऐसे हैं जो बेख़ौ$फ अंदाज में चल रहे हैं। बिना नंबर वाली गाडिय़ों में रेत ट्रांसपोर्टिंग का काम इसी में शामिल है। यह बात अलग है कि परिवहन विभाग की दृष्टि में इस प्रकार के नजारे बिल्कुल नहीं आ पा रहे हैं। यह अपने आप में समझ से परे हैं।
कोरबा नगर और उपनगर क्षेत्र के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी बिना नंबर के चलने वाले ऐसे वाहन की संख्या के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं है लेकिन रेत की चोरी करने के साथ परिवहन करने में लगे ऐसे वाहनों की संख्या का आंकड़ा सैकड़ो में है। इनमें हाईवा से लेकर जेसीबी और ट्रैक्टर शामिल है। इनका उपयोग कोरबा जिले की नदियों और नालों के साथ-साथ आसपास के क्षेत्र में रेत पहुंचने के लिए हो रहा है। सुबह से रात तक इस प्रकार का दौर जारी है। लंबे समय से या सिलसिला बना हुआ है। सत्ता में भले ही परिवर्तन हुआ है और अधिकारी भी बदले गए हैं। लेकिन रेत सिंडिकेट की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं हो सका और वह पहले की तरह अपने काम को करने में लगा हुआ है। सवाल उठ रहा है कि वाहनों की फिटनेस से लेकर अन्य मानक पर अलग-अलग मौके पर जांच के लिए अभियान चलाने वाला सरकार का परिवहन विभाग कोरबा जिले में इस प्रकार की हरकतों को लेकर उदासीन और लापरवाह क्यों बना हुआ है। स्कूल बसों से लेकर यात्री बसों और दूसरे श्रेणी के वाहनों पर नजर बनाए रखने वाले परिवहन विभाग के सामने ऐसी क्या मजबूरी है कि आखिर वह रेत ढोने वाले बिना नंबर के वाहनों पर सख्ती नही कर पा रहा है। जबकि विभाग के पास ईमानदार अधिकारियों और कर्मचारियों की पर्याप्त संख्या मौजूद है और उसका अपना एक फ्लाइंग स्क्वायड भी है जो विभिन्न क्षेत्रों में लगातार कार्रवाई करते हुए सरकार को अच्छा खासा रेवेन्यू देने में लगा हुआ है। लोग जानना चाहते हैं कि इस प्रकार की कौन सी व्यवस्था है जिसके अंतर्गत रेत चोरी और परिवहन करने वाले वाहनों को अपनी गाडिय़ों में रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं लिखने की छूट मिली हुई है।
प्रधानमंत्री आवास का नाम लेकर भी चोरी
तरुण छत्तीसगढ़ को मिली जानकारी में बताया गया है कि विभिन्न क्षेत्रों में हालत काफी खराब है। वहां तो आसपास की नदियों और दलों से रेत की निकासी और परिवहन को लेकर लोग तक दे रहे हैं कि प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत हुआ है और उसके लिए रेट का उपयोग हो रहा है। समस्या यह है कि बृहद क्षेत्रफल में इन मामलों के सत्यापन के लिए आखिर किस आधार पर निरीक्षण किया जाए और फिर कार्रवाई की जाए। कहां जा रहा है कि प्रधानमंत्री आवास के नाम से रेत की चोरी व्यापक पैमाने पर की जा रही है और अब शहर के साथ-साथ आसपास के इलाके में रेत का अवैध भंडारण भी किया जा रहा है।
वाहनों को राजसात करने की कार्रवाई सीमित
विभिन्न मामलों में प्रकृति से जुड़े तत्वों के अवैध दोहन को लेकर कार्रवाई करने के प्रावधान सरकार की ओर से बनाए गए हैं और इसके अनुसार आवश्यक कदम भी उठाए जा रहे हैं। कोरबा में खनिज विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस प्रकार की घटनाओं में पकड़े जाने वाले वाहनों को राजसात करने की कार्रवाई केवल वन विभाग करता है और उसे अधिकार मिले हुए हैं। दूसरे विभागों के पास इस प्रकार की शक्तियां नहीं है और इसलिए उन्हें संबंधित मामलों में पेनल्टी की कार्रवाई करनी पड़ती है। ऐसे में रेत की चोरी और परिवहन करने के दौरान पकड़े जाने वाले वाहनों को पेनल्टी लगाकर छोडऩा ही एक विकल्प है।