जांजगीर – चांपा । बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सालय चांपा (बीडीएम) में स्त्री रोग विशेषज्ञ सहित पर्याप्त स्टाफ और संसाधन होने के बाद भी 12 साल से सिजेरियन आपरेशन बंद था। लंबे समय तक क्षेत्र की महिलाओं को प्रसव के लिए जिला अस्पताल या निजी अस्पतालों के चक्कर लगाने पड़ते थे। आखिरकार नवपदस्थ कलेक्टर ने संज्ञान लिया और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को फिर से आपरेशन शुरू करने के निर्देश दिए। जिसके बाद अस्पताल के नवनिर्मित ओटी कक्ष में गुरूवार को 12 साल के बाद सफल सिजेरियन आपरेशन नवागढ़ ब्लाक के ग्राम पंचायत सुकली निवासी नम्रता देवी धनराज का किया गया।सफल आपरेशन स्त्रीरोग विशेषज्ञ जिला चिकित्सालय डा. पायल चौधरी, स्त्रीरोग विशेषज्ञ अनीता श्रीवास्तव, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डा. शीतल दास एवं बीडीएम चिकित्सालय की टीम द्वारा नवनिर्मित ओटी कक्ष में सफलतापूर्वक प्रसव कराया गया। नवनिर्मित ओटी कक्ष में सफल प्रसव कराने पर कलेक्टर ने डाक्टरों को बधाई एवं शुभकामनाएं दी। उल्लेखनीय है कि 12 वर्षो बाद पुन: 50 बिस्तरीय स्व. बिसाहू दास महंत (बीडीएम) चिकित्सालय – चांपा में सिजेरियन आपरेशन शुरु हुआ है। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डा. अनिल जगत ने बताया कि गर्भवती महिला का पहला सिजेरियन आपरेशन किया गया। डाक्टरों की संयुक्त टीम ने सिजेरियन के माध्यम से सफल आपरेशन किया एवं जच्चा बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। उल्लेखनीय है कि बीडीएम में लगभग 12 से पहले सिजेरियन आपरेशन हुआ करता था।
लंबे अंतराल के बाद कलेक्टर के प्रयासों से नवनिर्मित ओटी कक्ष में सिजेरियन आपरेशन प्रारंभ होने से क्षेत्र के लोगों को लाभ मिलेगा। साथ ही सिजेरियन आपरेशन के लिए मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधा प्राप्त होगी। इस अवसर पर सीएमएचओ डा. स्वाती वंदना सिसोदिया, सिविल सर्जन डा. अनिल जगत, शिशु रोग विशेषज्ञ डा. संगीता देवांगन, चिकित्सा अधिकारी, डा. मनीष श्रीवास्तव एवं जिला प्रबंधक – अस्पताल अंकित ताम्रकार उपस्थित थे। इस दौरान उपस्थित स्वजन ने सफलतापूर्वक आपरेशन पर खुशी प्रकट करते हुए टीम को धन्यवाद दिया है।
चांपा के बीडीएम अस्पताल में सिजेरियन प्रसव होने में आखिर 12 साल का लंबा समय क्यों लग गया यह बड़ा सवाल है। जबकि वहां पहले से ही स्त्री रोग विशेषज्ञ पदस्थ हैं। इसकी वजह केवल यह है कि डाक्टरों में इच्छाशक्ति की कमी थी। अब जब प्रशासन ने पहल किया तो सिजेरियन प्रसव हुआ। इसके पूर्व भी यहां प्रसव के लिए महिलाएं पहुंचती रहीं मगर ज्यादातर डाक्टर निजी क्लिीनिकों में व्यस्त होने के कारण यहां प्रसव कराने में रूचि नहीं लिए।