अब बरामदे तक मरीजों को रखने की आई नौबत
कोरबा। पावर सिटी में गर्मी के पिछले सारे रिकार्ड ब्रेक होते नजर आ रहे हैं। जेठ के पहले पखवाड़े में ही तापमान का पारा 44 डिग्री को पार कर गया है। ऐसे में गर्मी बेतहाशा हो गई है और इसके चलते हर कहीं समस्याएं हैं। लोगों का बीमार पडऩा जारी है। हालात ऐसे हैं कि सरकारी और निजी अस्पतालों में न केवल मरीजों की भीड़ बढ़ रही है बल्कि वार्डों का दायरा सीमित होने से मरीजों को अब बरामदे में विकल्प दिया जा रहा है। यहां से ही उनका उपचार किया जा रहा है।
बीते एक दशक में यह अब तक का ऐसा पहला मौका है जब लोगों ने गर्मी को इस तरह बढ़ते देखा है। इससे पहले कभी भी तापमान का पारा 42 के आगे नहीं गया। इस बार तो देश के दूसरे हिस्सों की तर्ज पर यहां भी तापमान एक प्रकार से बुलंदी पर है। नीत नये उसके तेवर यहां-वहां सामने आ रहे हैं। लोगों के झुलसने और कारखानों में आग लगने जैसी घटना इसी का नतीजा मानी जा रही है। बिजली घरों और कोयला खदानों की उपस्थिति वाले कोरबा जिले में बढ़ते तापमान के कारण हालात विस्फोटक हो गए हैं। यहां रोजाना कहीं न कहीं दिल दहला देने वाली घटनाएं सामने आ रही है। स्थिति इतनी खतरनाक है इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि लोगों का शरीर और अधिक गर्मी बर्दाश्त करने के लायक नहीं बचा है। ऐसे में उनके सामने विपरित परिस्थितियां निर्मित हो रही है। लू लगने, बुखार और और चक्कर खाकर गिर पडऩे के मामले ज्यादा हो गए हैं। उपर से गलत खानपान के कारण उल्टी-दस्त की शिकायत अलग है ही। मेडिकल कॉलेज हास्पिटल के साथ-साथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और निजी अस्पतालों की ओपीडी ऐसे मरीजों से अटी पड़ी है। वार्ड में भी हालात कुछ ऐसे हैं वहां नो एंट्री के बोर्ड नहीं लगाए गए हैं लेकिन नए मरीजों को प्रवेश देने लायक जगह नहीं बची है। इसलिए अस्पतालों के बरामदे का उपयोग नए मरीजों के मामले में किया जा रहा है। चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि किसी भी मरीज को उपचार के लिए भटकना न पड़े इसके लिए हम पूरी कोशिश कर रहे हैं।