
जांजगीर । वैसे तो जिले में 500 से अधिक झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है लेकिन हद तो तब हो जा रही है जब जिला मुख्यालय में भी ऐसे दर्जनों झोलाछाप डॉक्टरों की बाढ़ है। जबकि जिला मुख्यालय में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी से लेकर तमाम बड़े अफसरों की फौज दिन भर तैनात रहती है। इसके बावजूद ऐसी क्लीनिक आबाद है। हाल ही में नैला के वार्ड नंबर दो नैला रेलवे केबिन के उस पार एक बड़ा क्लीनिक संचालित हो रहा है। जिसमें सुबह से लेकर शाम तक सैकड़ों की तादात में एक नीमहकीम मरीजों का खुलेआम इलाज कर रहा है। उक्त झोलाछाप डॉक्टर के पास न तो किसी तरह की डिग्री है और न ही कोई प्रमाण पत्र। इतना ही नहीं उसने नर्सिंग होम एक्ट के तहत कभी आवेदन भी जमा नहीं किया है और उसकी क्लीनिक आबाद है। उक्त क्लीनिक में सुबह से लेकर शाम तक मरीजों की लाइन लगी होती है। आसपास के सैकड़ों लोगों के अलावा पड़ोस के गांव के मरीज भी यहां इलाज के लिए पहुंचते हैं। उक्त झोलाछाप डॉक्टर हर बड़ी बीमारी का हल अपने क्लीनिक में निकाल लेते हैं।
डिग्री भी नहीं और बीएएमएस की लेटरपैड
बताया जा रहा है कि उक्त झोलाछाप डॉक्टर के पास किसी तरह की डिग्री नहीं है और वह अपने आप को बीएएमएस पढ़ा होना बताया जा रहा है। बाकायदा उसके द्वारा डॉक्टरी प्रिस्क्रिप्शन में सुशील कुमार श्यामले बीएएमएस लिखा लैटरपैड इस्तेमाल किया जा रहा है। जबकि यह चारसौबीसी की श्रेणी में आता है। इतना ही नहीं उसके क्लीनिक में दर्जनों ऐसे फर्जी सर्टिफिकेट भी दीवारों में टंगा है जो शासन के किसी काम की नहीं है।
रेलवे फाटक पार करना नहीं चाहते मरीज
यह क्लीनिक नैला रेलवे स्टेशन के केबिन के ठीक उस पार है। रेलवे फाटक पार करने में मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिससे मरीजों को तकलीफ होती है। यही वजह है कि मरीज रेलवे क्रासिंग पार नहीं करना चाहते और उसी झोलाछाप डॉक्टर के पास इलाज कराने मजबूर होते हैं। मरीजों ने बताया कि यहां आसपास अस्पताल नहीं होने की वजह से यहां इलाज कराना मजबूरी बन जाती है।
अस्थाई मेडिकल स्टोर भी
उक्त झोलाछाप डॉक्टर की दुकान में अस्थाई रूप से मेडिकल स्टोर भी संचालित किया जा रहा है। उसकी आलमारी में सैकड़ों की तादात में हर मर्ज की दवाओं का भंडार भी है। यदि कोई मेडिकल अफसर छापेमारी करे तो यहां कई तरह के खुलासे हो सकते हैं। हालांकि इसकी जानकारी सीएमएचओ स्टॉफ को नहीं है। जिसका फायदा झोलाछाप डॉक्टर उठा रहा है। नियम के मुताबिक मेडिकल स्टोर के संचालन के लिए फार्मासिष्ट डिग्री का होना जरूरी है लेकिन उसके पास वह भी नहीं है। मेरे पास नर्सिंग होम एक्ट के तहत लाइसेंस नहीं है। लोगों का बस प्राथमिक उपचार कर रहा हूं। लोग कुछ भी शिकायत कर सकते हैं। – सुशील कुमार श्यामले इस तरह का कोई फर्जी तौर पर उपचार कर रहा है तो गलत है। इसकी जांच करवाएंगे और क्लीनिक सील किया जाएगा। – डॉ. स्वाती वंदना सिसोदिया, सीएमएचओ