पर्यावरण व वन मंत्रालय से मिली मंजूरी
कोरबा । कोरबा जिले में बालकों के सघन वन क्षेत्र अंतर्गत साल पेड़ पर बोरर का प्रकोप बढ़ता जा रहा हैं। इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया गया, लेकिन सफलता नहीं मिली। आखिरकार विभागीय अधिकारियों ने बीमारी की जद में आ चुके करीब 12 सौ पेड़ों को चिन्हांकित किया। अधिकारियों के लगातार प्रयास के बाद केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने 923 वृक्ष को काटने अनुमति प्रदान की हैं। अब तक विभाग ने 497 पेड़ों की कटाई की है जल्द पूरी तरह सूख चुके शेष पेड़ों की कटाई की जाएगी, ताकि जंगल को सुरक्षित रखा जा सके।
अधिकारियों ने बोरर के प्रकोप को नियंत्रित करने योजना तैयार कर ली। योजना के मुताबिक सूख चुके पेड़ों की गणना की गई। जिसमें 1200 से अधिक पेड़ को चिन्हांकित किया गया। बोरर कीट को नष्ट करने दवा का छिडक़ाव भी किया गया। पेड़ों के उन हिस्सों को ब्लॉक किया गया, जहां से बोरर कीट ने प्रवेश किया था। जिससे लगातार बढ़ रहे बोरर पर अंकुश तो लगा लिया गया, लेकिन पूरी तरह समाप्त नहीं हो सका। इस पर पूरी तरह अंकुश लगाने ठोस पहल जरूरी थी। लिहाजा वर्ष 2022-23 में कोरबा वन मंडल के तत्कालीन डीएफओ प्रियंका पांडेय ने 923 पेड़ों की कटाई के लिए प्रस्ताव तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेज दिया था। वन अफसरों की लगातार प्रयास के बाद मंत्रालय ने पेड़ काटने अनुमति प्रदान कर दी हैं। इसके साथ ही वन विभाग ने पेड़ों की कटाई भी शुरू कर दी है। अब तक बालको के जंगल में बोरर की जद में आ चुके 497 पेड़ों की कटाई की जा चुकी है, बताया जा रहा है आने वाले दिनों में शेष पेड़ों की कटाई पूरी कर ली जाएगी, ताकि जंगल के भीतर लगे साल वृक्षों को कीट से बचाया जा सके।
बोरर एक प्रकार का कीट है, जो एक बार में 300 से 500 अंडा देता है। साल बोरर मानसून समाप्त होने के बाद पेड़ पर लगता है, जो उम्र भर पेड़ पर रहता है। एक हरे भरे पेड़ को 1500 कीट घुन की तरह चट कर जाते हैं। बोरर को समाप्त करने का एकमात्र उपाय पेड़ की कटाई है, अन्यथा यह अन्य साल पेड़ में तेजी से फैल जाता है।