नई दिल्ली। सरकार स्वास्थ्य सुविधा बेहतर करने के लिए पूरा प्रयास कर रही है, लेकिन अभी भी इस्केमिक स्ट्रोक या ब्रेन स्टोक के बाद भारत में चार में से केवल एक मरीज को समय पर इलाज मिल पाता है। इंटरनेशनल जर्नल ऑफ स्ट्रोक में प्रकाशित शोध में यह दावा किया गया है। शोध में यह अनुमान भी लगाया गया है कि भारत में प्रति दस लाख आबादी पर एक से भी कम ब्रेन स्ट्रोक के इलाज वाले अस्पताल हैं।
इस्केमिक स्ट्रोक में मस्तिष्क को पार्यप्त रक्त नहीं मिल पाता है। ऐसा तब होता है जब मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति करने वाली रक्तवाहिका में थक्का जम जाता है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स जर्नल में प्रकाशित सितंबर 2024 के अध्ययन के अनुसार भारत में सभी स्ट्रोक का लगभग 70-80 प्रतिशत मामला इस्केमिक स्ट्रोक का होता है। हाल ही में किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि देश के 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्ट्रोक का इलाज करने वाले 566 अस्पतालों में उपचार की इंट्रावेनस थ्राम्बोलाइसिस की सुविधा है। इंट्रावेनस थ्राम्बोलाइसिस में रक्त के थक्के को तोड़कर इसे हटाया जाता है। 566 में से 361 अस्पतालों में स्ट्रोक मरीजों के लिए एंडोवास्कुलर थेरेपी की सुविधा है। एंडोवास्कुलर थेरेपी को स्ट्रोक का बेहतर इलाज माना जाता है।