वालियर। माना जाता है कि ग्वालियर चंबल संभाग में खासकर चंबल का चुनावी रण जिस भी दल ने जीत लिया, प्रदेश में उसकी सरकार बनती है। 2018 के चुनाव में इस अंचल से कांग्रेस को भरपूर समर्थन मिला था। 26 सीटें जीतकर कांग्रेस ने कमल नाथ के नेतृत्व में सरकार बनाई थी। दो साल बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भाजपा का दामन थामा तो प्रदेश में सत्ता पलट गई लेकिन इस क्षेत्र में कांग्रेस की स्थिति कमजोर नहीं हुई।महज 15 दिनों में पार्टी ने ग्वालियर चंबल क्षेत्र में उनके दो कार्यक्रम करा दिए। प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद शाह पांच सितंबर को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के संसदीय क्षेत्र श्योपुर से जनआशीर्वाद यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे।चुनावी तैयारियों में कांग्रेस को झटका देने के लिए भाजपा ने चुनाव से करीब तीन माह पहले प्रदेश की 39 सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें से चंबल से तीन नाम शामिल हैं। मुरैना की सबलगढ़, सुमावली और भिंड की गोहद सीट पिछले चुनावों में भाजपा ने गंवा दी थीं। इन्हें हासिल करने के लिए ही जन आशीर्वाद यात्रा के शुभारंभ के लिए इस क्षेत्र का चयन किया है। भाजपा ने पिछोर से उमा भारती के नजदीकी प्रीतम लोधी को पहली सूची में शामिल किया है और मुख्यमंत्री उनके साथ पिछोर में सभा कर चुके हैं।महल(सिंधिया का महल) के प्रभाव वाले क्षेत्र शिवपुरी में कांग्रेस लगातार भाजपा को झटके दे रही है। कोलारस विधायक वीरेंद्र रघुवंशी को तोडऩे से पहले कांग्रेस सिंधिया के साथ आए चार बड़े चेहरों को पार्टी ज्वाइन करा चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि कांग्रेस सिंधिया से 2020 का बदला लेना चाहती है और वह उनके गढ़ शिवपुरी को लक्ष्य कर रही है। पार्टी ने इसकी जिम्मेदारी यहां पूर्व मंत्री और दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्द्धन सिंह को दे रखी है। इधर, ग्वालियर-चंबल संभाग पर कांग्रेस का भी फोकस बना हुआ है। कांग्रेस इस क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ को ढीला नहीं करना चाहती है। कांग्रेस पिछले चुनाव की अपनी बढ़त यहां बनाए रखने के लिए पूरी तरह सक्रिय है। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ, दिग्वजय सिंह के लगातार दौरे हो रहे हैं। पार्टी प्रियंका गांधी की सभा ग्वालियर में करा चुकी है।