पर्यवेक्षक मनोज गुप्ता कई बिंदु पर करेंगे मंथन
कोरबा। सत्ता किसी की हो पर सिस्टम तो हमारा ही चलेगा। कई मामलों में यह धारणा सच साबित होती रही है। अब जब नगरीय निकाय चुनाव होने जा रहे हैं तब नगर पालिका दीपका के मामले में क्या ऐसा सच हो सकेगा? पिछले चुनाव में कांग्रेस के अध्यक्ष को लेकर लोचा हो गया, जो बाद में भाजपा के पाले में चली गई। इसलिए मौजूदा चुनाव को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष के मामले में ऐसे चेहरे की तलाश में है जो जीतने (संयोगवश) के बाद कहीं भाजपा में शामिल न हो जाए।
कांग्रेस पर्यवेक्षक मनोज गुप्ता का दौरा इसी सिलसिले में आज दीपका में हो रहा है। पेण्ड्रारोड निवासी गुप्ता प्रदेश कांग्रेस कमेटी में संयुक्त महामंत्री हैं। संगठन ने दीपका को लेकर उन्हें पर्यवेक्षक बनाया है। उनके साथ वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश परसाई भी यहां मौजूद होंगे। स्थानीय कार्यकर्ता दिलीप सिंह के निवास पर अध्यक्ष पद को लेकर कार्यकर्ताओं की विशेष बैठक आज दोपहर 2 बजे से हो रही है। खबर के मुताबिक यह बैठक पूरी तरह से अध्यक्ष पद के सबसे बेहतर और जीत की संभावना वाले दावेदार पर केंद्रित होगी। संगठन ने जो दिशा निर्देश और बिंदु दिए हैं उनके अंतर्गत पर्यवेक्षक अपनी भूमिका यहां पर निभाएंगे। मीडिया रिपोर्टस में कहा गया कि दीपका क्षेत्र में अध्यक्ष के लिए किस प्रत्याशी को उपयुक्त माना जा सकता है। पालिका क्षेत्र में उसका जनाधार क्या हैं। लोगों से रिश्ते कैसे हैं। चुनाव जीतने के लिए संवाद से लेकर रणनीति और रूपया भी सबसे अहम भूमिका निभाता है। ये तीन चीजें भी खासतौर पर देखी जाएंगीं। इसके अलावा इस बात को भी प्रमुखता से ध्यान में रखा जाएगा कि किसी भी कारण से कहीं भी अगर जनता या कार्यकर्ताओं में नाराजगी अथवा असंतोष है तो उससे निपटने के लिए आपमें क्या क्षमता है। ऐसे बिंदुओं पर ही कार्यकर्ताओं से संवाद होगा। पिछली पृष्ठभूमि और मौजूदा समीकरण में फिट बैठने को लेकर जिसके पक्ष में सबसे अच्छी चीज सामने आएगी, उस पर आगे विचार हो सकता है। यह भी बताया गया कि पर्यवेक्षक के ध्यान में पहले ही इस बात को लाया जा चुका है कि पिछले चुनाव में कांग्रेस पार्षद संतोषी दीवान निर्वाचित हुईं थीं जो बाद में अध्यक्ष बन गई। पूरी पारी उन्होंने इसी भूमिका में खेली और बाद में लोकसभा चुनाव के दौरान वे भाजपा की हो गई। इसलिए अबकी बार अध्यक्ष के मामले में फूंक-फूंक कर कदम उठाने की तैयारी कांग्रेस कर रही है। बताया गया कि कांग्रेस अध्यक्ष के दावेदारों और उनमें से कोई एक चेहरा सलेक्ट करने के दौरान नापतौल कर इस बात को परखेगा कि इनमें से कौन भाजपा में नहीं जा सकता है। इसलिए विश्वसनीयता और निष्ठा को सबसे अधिक महत्व मिलने की संभावना जताई जा रही है। जो भी कार्यकर्ता इस कसौटी पर खरा उतरेगा, पर्यवेक्षक उसके सिर पर हाथ रख सकते हैं।
9 पार्षद चुने फिर भी बनाया अध्यक्ष
पिछले चुनाव में 21 सदस्यीय नपा दीपका में कांग्रेस के 9 पार्षद चुनकर आए थे जबकि इससे अधिक संख्या भाजपा के पार्षदों की थी। इस स्थिति में स्वाभाविक रूप से भाजपा का ही अध्यक्ष बनना चाहिए था। जब पार्षदों ने मतदान किया और उसके नतीजे घोषित हुए तो कांग्रेस की संतोषी दीवान अध्यक्ष बन गई। इससे कांग्रेस खेमा तो नहीं बल्कि भाजपा खेमा जरूर चौक गया। दीपका सहित कई स्थानों पर इसी प्रकार के परिणाम सामने आए थे। यही कारण है कि भाजपा सरकार प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव करा रही है।