लंदन। भारतीय पेशेवरों और स्वास्थ्य कर्मियों का प्रतिनिधित्व करने वाले समूहों ने ब्रिटेन सरकार की नई वीजा योजना के संबंध में स्पष्टता के अभाव को लेकर मंगलवार को चिंता जताई। ब्रिटेन के गृह मंत्री जेम्स क्लेवरली ने सोमवार को संसद में पांच सूत्री योजना पेश की थी, जिसके तहत विदेशी देखभाल कर्मियों पर अपने परिवारों को ब्रिटेन लाने पर प्रतिबंध लगाया जाएगा और कुशल श्रमिकों के लिए वेतन सीमा बढ़ाकर 38,700 ब्रिटिश पौंड निर्धारित की जाएगी। सरकार के इस कदम से से कई भारतीय परिवारों पर असर पडऩे की उम्मीद है। भारतीय मूल के लगभग 80 हजार चिकित्सकों और 55 हजार नर्सों का प्रतिनिधित्व करने वाले ब्रिटेन के सबसे बड़े प्रतिनिधि निकाय ब्रिटिश एसोसिएशन आफ फिजिशियन आफ इंडियन ओरिजिन (बीएपीआईओ) के संस्थापक डाक्टर रमेश मेहता ने कहा कि, हम स्पष्टीकरण मांगने के लिए तत्काल गृह मंत्री को पत्र लिखेंगे। हमें उम्मीद है कि इस योजना में डाक्टर और नर्स शामिल नहीं होंगे क्योंकि अगर ऐसा होता है, तो हम गृह मंत्रालय को बताना चाहते हैं कि भारत से ब्रिटेन आने वाले चिकित्सकों और नर्सों की संख्या शून्य हो जाएगी। फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने आगाह किया है कि वेतन सीमा 38,700 पौंड करने से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था के लिए अनपेक्षित परिणाम हो सकते हैं। फिक्की के महासचिव शैलेश पाठक ने कहा कि दुनिया विशेष रूप से आईटी, इंजीनियरिंग और अनुसंधान के क्षेत्र में अत्यधिक कुशल भारतीय पेशेवरों की ओर देख रही है। ब्रिटेन की वेतन सीमा को देखते हुए भारतीय पेशेवर अन्य देशों को चुनेंगे और इससे ब्रिटेन में व्यापार करने वाली भारतीय कंपनियां हतोत्साहित होंगी।