
बैंगलूरू, २३ अगस्त । चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल (एलएम) बुधवार शाम चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। ऐसा होने पर भारत चंद्रमा के दक्षिणी धु्रव पर पहुंचने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। सिर्फ भारतवर्ष ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया इस ऐतिहासिक पल का टकटकी लगाए इंतजार कर रही है। लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) से युक्त लैंडर मॉड्यूल शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा के दक्षिणी धु्रवीय क्षेत्र पर सॉफ्ट लैंडिंग कर सकता है। चंद्रयान-3 मिशन पर इसरो के संस्थापक विक्रम साराभाई के बेटे कार्तिकेय साराभाई ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, यह एक बड़ा दिन है। यह सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि इस ग्रह पर किसी के लिए भी इतनी सटीकता से इसे भेजने के लिए एक शानदार बात है जिसके साथ हम चंद्रयान -3 भेजने में सक्षम हुए हैं और वह भी एक ऐसी प्रक्रिया के माध्यम से जो दूसरों से अलग है… विज्ञान और इंजीनियरिंग में, हम गलतियों से सीखते हैं…यह मानवता के लिए बहुत बड़ी बात होगी क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से पर आज तक कोई नहीं उतर सका है। चंद्रयान 3 मिशन पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, आज इतिहास रचा जाएगा जब पीएम मोदी के नेतृत्व में चांद पर भारत का झंडा लहराएगा। पूरा देश इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। वैज्ञानिकों और सरकार की पिछले 9 साल की मेहनत आज पूरी होगी। हम सफलता की ओर बढ़ रहे हैं। इससे भारत नई ऊंचाइयों को छू रहा है। चंद्रयान-3 मिशन पर अंतरिक्ष रणनीतिकार पी.के. घोष ने चंद्रयान-3 मिशन की सफलता पर भरोसा जताते हुए कहा, मुझे लगता है कि यह भारत के लिए बहुत बड़ा दिन है। कारण यह है कि चंद्रयान 2 लैंडिंग नहीं कर सका था और अब हम पूरी दुनिया को दिखाना चाहते हैं । कि हमारे पास न केवल तकनीकी क्षमता है बल्कि हमारे पास दक्षिणी ध्रुव पर जाकर सॉफ्ट लैंडिंग करने की भी क्षमता है। दक्षिणी ध्रुव एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ अब तक कोई लैंडिंग नहीं हुई है…पहले की सभी लैंडिंग भूमध्य रेखा के अंदर और उसके आसपास हुई हैं। दक्षिणी ध्रुव पर उतरना कठिन है और इसलिए इतने कम बजट में ऐसा करना भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। यह एक बड़ा दिन है।”
















