नई दिल्ली। चालबाज चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा। अब वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिये इस साल भारत और अमेरिका समेत दुनियाभर के 60 देशों में होने वाले चुनाव को बाधित करने की फिराक में है। प्रौद्योगिकी दिग्गज माइक्रोसाफ्ट ने चेतावनी दी है कि अपने भू-राजनीतिक हित साधने के लिए जनता की राय को प्रभावित करने के मकसद से चीन इस तरह के हथकंडे अपनाने पर तुला है और हैकर्स का सहारा ले रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने खतरे को देखते हुए सभी डिजिटल कंपनियों को ऐसे प्लेटफार्मों को ठीक करने के लिए कहा है। चुनाव आयोग झूठी और गलत सूचनाओं को लेकर पहले ही दिशानिर्देश और प्रोटोकाल जारी कर चुका है। भारत में 543 लोकसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान 19 अप्रैल से चार जून के बीच होगा। दक्षिण कोरिया में 10 अप्रैल को आम चुनाव होंगे जबकि अमेरिका में पांच नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होंगे। माइक्रोसाफ्ट की थ्रेट इंटेलिजेंस टीम के अनुसार- इस साल दुनियाभर में खासकर भारत, दक्षिण कोरिया और संयुक्त राज्य अमेरिका में मुख्य रूप से चुनाव होने हैं। इन चुनावों में चीन अपने हितों को ध्यान में रखते हुए एसी का उपयोग कर ऐसी सामग्री का निर्माण और प्रसार करेगा जोकि उसे लाभ पहुंचाए। वह मतदाताओं का पार्टी विशेष की तरफ झुकाव बदलने के साथ-साथ उन्हें भटकाने की हरसंभव कोशिश करेगा। वह इंटरनेट मीडिया पर ऐसा कंटेंट प्रसारित करेगा जिससे चुनावों के दौरान जनता की राय चीनी हित की तरफ झुक सके। माइक्रोसाफ्ट ने कहा कि जनवरी में ताइवान के चुनाव के दौरान भी चीन समर्थित हैकर्स समूह स्टार्म 1376 (स्पैमौफ्लेज) विशेष रूप से सक्रिय था। इस समूह ने कुछ उम्मीदवारों को बदनाम करने और मतदाताओं की धारणाओं को प्रभावित करने के उद्देश्य से एआई का इस्तेमाल कर डीपफेक वीडियो और मीम्स तैयार किए और इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किए। विशेषज्ञों के अनुसार एआई जनित डीपफेक और नकली सामग्री के माध्यम से फैली गलत सूचना आगामी चुनावों के लिए सबसे बड़ा खतरा है।उधर, आईटी मंत्रालय ने कहा है कि डिजिटल प्लेटफार्म को पूरी जवाबदेही लेनी होगी और वह यह कहकर बच नहीं सकते कि ये एआई मॉडल अंडर-टेस्टिंग चरण में हैं।पिछले महीने के अंत में माइक्रोसाफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स के साथ बातचीत में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी हमारे जैसे लोकतांत्रिक देश में डीपफेक के बारे में चिंता व्यक्त की थी। चीन का हमेशा मकसद रहा है कि भारत जैसे लोकतंत्र को कमजोर किया जाए और उसके समाज के अंदर मतभेद पैदा किया जाए। वह चाहता है कि भारत उसके विरुद्ध एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में न खड़ा हो। वह नहीं चाहता कि भारत में एक मजबूत और स्थायी सरकार बने। माइक्रोसाफ्ट ने जो चेतावनी दी है, हमें उसे गंभीरता से लेना होगा। हमें चीनी इंफ्लूएंस आपरेशन को किसी सूरत में सफल नहीं होने देना है। हमें चीन से चौकस रहना होगा और ईंट का जवाब पत्थर से देना होगा।श्रीराम चौलिया, अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ ”चीन हमेशा तकनीक को पालिटिकल इंफ्लूएंस में इस्तेमाल करता है। लोकतंत्र में बाहरी ताकतों के हस्तक्षेप की संभावना रहती है। चीन को पता है कि उसके पास तकनीकी ताकत है और वह कैसे एआई और साइबर के जरिये दूसरे देशों के चुनाव पर असर डाल सकता है। हमें चीन की इस हरकत से सरप्राइज नहीं होना चाहिए। ऐसा करना उसकी नीति रही है। हमें इससे निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने होंगे।