नईदिल्ली, 0२ दिसम्बर ।
चुनाव जीतने के बाद से नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जिस तरह से एक के बाद अपनी आगामी सरकार की नीतियों का एलान कर रहे हैं उसकी अगली कड़ी में भारत को भी परोक्ष तौर पर निशाना बनाया गया है। ट्रंप ने शनिवार को देर रात यह एलान किया कि अगर ब्रिक्स देशों की तरफ से ब्रिक्स करेंसी या स्थानीय मुद्रा में कारोबार को बढ़ावा दिया जाता है तो इन देशों के उत्पादों पर 100 फीसद का आयात शुल्क लगाया जाएगा और अमेरिका का बाजार बंद कर दिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ इसे ट्रंप की तरफ से रूस और चीन पर निशाना लगाने के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन ब्रिक्स की शुरुआत करने वाले देशों में शामिल होने के नाते भारत भी इस नीति का शिकार हो सकता है। भारत ने आधिकारिक तौर पर ट्रंप के इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है लेकिन अधिकारी मान रहे हैं कि बतौर राष्ट्रपति इसे लागू करना ट्रंप के लिए बहुत ही टेढ़ी खीर होगी।साथ ही यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि ब्रिक्स संगठन के भीतर ब्रिक्स करेंसी को लेकर कोई विचार नहीं है।
हालांकि 23 अक्टूबर, 2024 को कजान (रूस) में हुई ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त घोषणा पत्र में इन देशों ने स्थानीय मुद्रा में आपसी कारोबार को बढ़ावा देने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है।ट्रंप ने सोशल साइट एक्स पर अपनी भावी नीति का एलान करते हुए कहा है कि ब्रिक्स देशों की तरफ से डॉलर से कारोबार करने को बंद करने के मुद्दे पर प्रतीक्षा करने की नीति अब खत्म होती है।
हम इन देशों से प्रतिबद्धता चाहते हैं कि ये ना तो ब्रिक्स करेंसी स्थापित करेंगे, ना ही किसी दूसरी करेंसी को बढ़ावा देंगे जो डॉलर को विस्थापित करे तो उन्हें 100 फीसद शुल्क देना होगा और उन्हें शानदार अमेरिकी बाजार से विदाई के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इस बात की कोई संभावना नहीं है कि ब्रिक्स अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर की जगह ले लेगा और कोई भी देश ऐसा करता है तो उसे अमेरिका को गुडबॉय कर देना चाहिए।