नई दिल्ली। मणिपुर हिंसा के दौरान विस्थापितों की संपत्तियों की सुरक्षा पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कथित गैर-अनुपालन के लिए अवमानना कार्रवाई की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने से शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह भावनाओं के आधार पर नहीं चल सकता, बल्कि उसे कानून के अनुसार काम करना होगा। जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मित्तल की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि वह दलील से संतुष्ट नहीं है कि मणिपुर के मुख्य सचिव समेत प्रतिवादियों के विरुद्ध अवमानना का मामला बनता है और याचिकाकर्ता कानून के तहत उपलब्ध उपायों का सहारा ले सकते हैं। मणिपुर की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने पीठ को बताया कि अवमानना का कोई मामला नहीं बनता और राज्य व केंद्र सरकार लोगों की चिंताओं को दूर करने के लिए धरातल पर हर काम कर रही हैं। उन्होंने कहा कि मुद्दे को गर्म रखने का प्रयास करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सभी नागरिकों एवं उनकी संपत्तियों की रक्षा करना राज्य का दायित्व है और सरकार इस मुद्दे पर अपडेट स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर सकती है। शीर्ष अदालत उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें दावा किया गया था कि जातीय हिंसा के दौरान विस्थापित हुए लोगों की संपत्तियों की रक्षा के उसके पिछले वर्ष 25 सितंबर के आदेश की प्रतिवादियों ने अवमानना की है।