मलगांव से जुड़े मामले में जांच बैठाने की जरूरत की जा रही महसूस
कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड दीपका क्षेत्र की खदानों के विस्तार के लिए मलगांव की अधिग्रहित जमीन और मुआवजा के निर्धारण को लेकर तनातनी जारी है। इस मामले में सांठगांठ कर भारत सरकार को नुकसान पहुंचाने के आरोप लग रहे हैं। भारतीय कोयला खदान मजदूर संगठन (बीएमएस)ने क्षेत्रीय मुख्य महाप्रबंधक को पत्र लिखकर इस बारे में जानकारी दी है। कहा गया है कि प्रबंधन पहल कर इस मामले को आगे ले जाए और पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराने के लिए दबाव बनाए।
सीजीएम को पत्र भेजकर भारतीय कोयला खदान मजदूर संगठन के बिलासपुर के संभाग उपाध्यक्ष प्रीतम राठौर ने कहा है कि दीपका क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम मलगांव, तहसील-दीपका का अधिग्रहण किया जा रहा है। संगठन को यह ज्ञात हुआ है कि कुछ अधिकारियों एवं कुछ बाहरी लोगों द्वारा आपस में साठ-गांठ करके फर्जी तरीके से घरों का मुआवजा बनाया गया है। और यह भी ज्ञात हुआ है कि मूल निवासियों के मुआवजा में गड़बड़ी कर जो इन फर्जीवाड़ों के साथ मिलकर करोड़ों की हेराफेरी मुआवजों के माध्यम से कर रहे हैं जो कि कंपनीहित में बिल्कुल भी नहीं है, इसलिए वर्तमान परिदृश्य में यह भी देखा जा रहा है कि ग्राम मलगांव के ग्रामवासी काफी निराश और आक्रोशित है जिस वजह से भविष्य में दीपका क्षेत्र को भू-अधिग्रहण हेतु काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है जिससे खनन भी प्रभावित हो सकती है और अभी वर्तमान में दीपका क्षेत्र को भू-अधिग्रहण की अत्यन्त आवश्यकता को देखते हुए भविष्य में दीपका क्षेत्र एवं ग्राम मलगांव के साथ कोई अन्याय ना हो एवं दीपका क्षेत्र किसी ऐसी फर्जीवाड़ों दलालों के वार्ता में ना फसे जिससे प्रबंधन और ग्रामवासियों के बीच कोई विवाद उत्पन्न ना हो। साथ ही इन फर्जीवाड़ों की वजह से कंपनी को करोड़ो का नुकसान उठाना ना पड़े।
संगठन राष्ट्रहित, कंपनीहित एवं ग्रामवासियों को ध्यान में रखते हुए यह मांग करता है कि ग्राम मलगांव के मुआवजे की पुन: जाँच कराई जाये जिससे की सभी के साथ न्याय हो सके और दलाल कंपनी को करोड़ों की हानि पहुँचा रहें है एवं भू-अधिग्रहण में केवल अपने स्वार्थ के लिए बाधा बन रहे है। ऐसे लोगों पर कार्यवाही करने की जरूरत है।
प्रशासन के संज्ञान लेने पर शिकायतें
मलगांव के मामले में लगातार कई तरह से सवालिया निशान खड़े हो रहे हैं। यही कारण है कि कटघोरा एसडीएम के द्वारा पिछले दिनों संज्ञान लेने के साथ मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया की जांच कराने की बात कही गई थी। इसे लेकर कई लोगों ने अपनी ओर से दबाव बनाया और यहां-वहां शिकायत की लेकिन हुआ कुछ नहीं। अब जबकि ट्रेड यूनियनों ने मामले में रूचि ली है इससे लगता है कि कोल इंडिया के साथ-साथ गृह मंत्रालय भी ध्यान देगा।