
लखनऊ, 0८ सितम्बर ।
ट्रांसपोर्टनगर में पिछले 17 घन्टे से बचाव और राहत कार्य जारी है। मलबे में कोई दबा न उसको तलाश के लिए पुलिस ने खोजी कुत्तों को भी लगाया है। वहीं तडक़े चार बजे मलबे में दबे ट्रक को काटकर निकाला जा सका है। फिलहाल मृतकों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है। ट्रांसपोर्ट नगर में शनिवार को तीन मंजिला कांपलेक्स शनिवार दोपहर भरभरा कर ढह गई। इमारत में दवा, मोबिल आयल समेत चार गोदाम थे। काम्प्लेक्स जिस समय ढही उस समय 40 से अधिक लोग काम हर रहे थे। मलबे के नीचे दबने से आठ लोगों की मौत हो गई और 28 घायलों को अस्पतालों में भर्ती हैं। कई घायलों की हालत गंभीर है।
वहीं घटना के बाद से युद्व स्तर पर पुलिस प्रशासन के अलावा राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और दमकल की टीमें बचाव कार्य कर रहीं हैं पिछले 17 घन्टे से बचाव कार्य चल रहा है। वहीं मलबा जल्दी हटाया जा सके तो हाइड्रा मशीन भी बुलाई गई। इसके साथ डॉग स्क्वाड की मदद से मलबे में दबे लोगों के बारे में पता लगाया जा रहा है। बताया गया लोकबंधु अस्पताल में भर्ती उन्नाव जिले के औरास के रहने वाले विनीत कश्यप का। विनीत ने बताया कि वह कई सालों से दवा फर्म में काम कर रहे हैं। करीब साढ़े तीन बजे के आस पास तेज बारिश हो रही थी। साथी मजदूर ट्रक से गत्ते उतार रहे थे। इस बीच उन्होंने देखा कि कॉम्पलेक्स का एक पिलर धंस रहा है। वह चीख-पुकार करते हुए अंदर भागे ताकि लोग कांपलेक्स से बाहर निकल सकें। वह गैलरी तक ही पहुंचे थे कि अचानक कॉम्पलेक्स भरभरा कर गिर गई। एक पिलर उसके ऊपर गिरा और वह दब गए। करीब एक घंटे तक दबे रहे। पुलिस कर्मी पहुंचे तब आस पड़ोस की मदद से पिलर हटाकर उन्हें निकाला। कुछ ही देर में दमकल, एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम भी आ गई। उधर, भूतल, पहले और तीसरे तल पर फंसे लोग चीख-पुकार कर रहे थे। उन्नाव जिले के औरास उतरा डकौली के मजदूर शेर बहादुर, उन्नाव औरास के आकाश ने बताया कि वह गत्ते सिर पर लादकर ऊपर ले जा रहे थे। तभी इमारत ढह गई और वह सब दब गए। पिलर का एक हिस्सा दीवार के सहारे था उसी के नीचे वह दबे थे। किसी तरह खिसक-खिसक कर बाहर निकले। पुलिस ने उन्हें एंबुलेंस से अस्पताल भेजा। लोकबंधु अस्पताल में मजदूर शेर बहादुर, डाक्टरों और पुलिस कर्मियों से अपने भाई जगरूप सिंह के खोजबीन करने की गुहार लगा रहे थे। शेर बहादुर ने बताया कि वह दवा फर्म में कई सालों से काम कर रहे हैं। उनका भाई जगरूप सिंह भी कुछ महीने से काम कर रहा था। घटना के समय वह दूसरे तल पर था, जबकि भाई भूतल पर। भाई का रात तक कुछ पता नहीं चला। मलबे के नीचे दीपक की स्कूटी दब गई। इसके अलावा कॉम्पलेक्स के बाहर खड़ी कई लोगों को बाइक और गाडिय़ां क्षतिग्रस्त हो गई।
वहीं, घायल आकाश ने बताया कि वह भूतल पर मोबिल आयल गत्ते में लगा रहे थे, तभी अचानक काम्पलेक्स ढहा। चोट लगने से वह अचेत हो गई।
आंख खुली तो खुद को अस्पताल में पाया। हादसे के बाद भी ट्रांसपोर्ट नगर में मुख्य मार्ग पर दोनों ओर ट्रक, डीसीएम और तमाम अन्य वाहन लगे थे। घायलों को अस्पताल ले जा रही एंबुलेंस जाम में फंसी थी। इस कारण एंबुलेंस में मरीजों की सांसे उखड़ रही थी। घटना के समय तमाम पुलिस कर्मी थे मगर मार्ग की यातायात व्यवस्था ठीक कराने के लिए कोई सडक़ किनारे खड़े वाहनों को नहीं हटवा रहा था।
























