पुलिस कर रही मामले में जांच पड़ताल

कोरबा। सच ही कहा गया है कि लालच बुरी बला। कई मौकों पर यह सच साबित होता रहा है। कोरबा जिले में दो मछुआरों की जिंदगी लालच के चक्कर में ही समाप्त हो गई, जो अलग-अलग थाना क्षेत्रों में मछली आखेट करने के लिए निकले थे। मौके पर उनके शव मिले। पुलिस ने मर्ग कायम कर मृतकों के शवों को पंचनामा कार्रवाई उपरांत पीएम के लिए चीरघर भिजवा दिया।
मिली जानकारी के अनुसार जिले के पाली थाने की चैतमा पुलिस चौकी क्षेत्रांर्गत ग्राम दमऊकुड़ा निवासी समार सिंह धनुहार उम्र 55 पिता गोरेलाल सिंह धनुहार कल शाम 4बजे मच्छरदानी लेकर मछली का आखेट करने के लिए गांव के पास स्थित नाले में गया हुआ था। रात्रि 9 बजे तक वह नहीं लौटा तो उसके परिजनों ने उसकी छानबीन शुरू कर दी। इसी खोजबीन के दौरान रात्रि 9 बजे के लगभग उसे चैतमा चौकी के लदानपारा सडक़ किनारे पड़े हुए देखा गया। वहां से उसे तत्काल उसका साला कौशल सिंह धनुहार उम्र 40 पिता जान सिंह धनुहार पाली सीएचसी अस्पताल ले गया। वहां उसे देखते हुए चिकित्सक ने मृत घोषित कर दिया। मृतक के दाएं पैर में किसी जंतु वगैरह के काटने का निशान भी देखा गया है। इसके बावजूद पाली सीएचसी के चिकित्सकों का कहना है कि मृतक की मौत किन कारणों से हुई है इसका खुलासा विस्तृत पीएम रिपोर्ट में किया जाएगा।
इसी तरह एक अन्य घटनाक्रम में सर्वमंगला चौकी क्षेत्रांतर्गत सर्वमंगला पुलिस चौकी के ग्राम शांति पारा निवासी लक्ष्मण उरांव उर्फ अजय सिंह उरांव उम्र 28 पिता दिलसाय उरांव विगत 3 सितंबर को मछली आखेट करने के लिए अहिरन नदी गया हुआ था। वहां से वह दिन भर नहीं लौटा। देर शाम उसकी लाश अहिरन नदी किनारे औंधे मुंह पड़ी हुई मिली। जिसकी सूचना उसके रिश्तेदार लखनलाल उरांव ने सर्वमंगला चौकी पहुंचकर दिया है। सर्वमंगला चौकी पुलिस ने मृतक के शव को पंचनामा कार्यवाही कर उसे पीएम के लिए भिलाईबाजार पीएचसी के चीरघर भिजवा दिया। इस मामले में भी पुलिस का कहना है कि मृतक की मौत किन कारणों से हुई इसका खुलासा पीएम रिपोर्ट मिलने पर किया जाएगा।
बार-बार मौके नहीं देती जिंदगी
कई चक्र से गुजरने के बाद मानव के रूप में जिंदगी प्राप्त होती है। एक तरह से यह ईश्वर का वरदान कहा गया है और इसलिए जरूरत जताई है कि लोग जीवन को बेहतर तरीके सी जीए, इस दौरान सुरक्षा भी रखें और सावधानी भी। जो चीजें अपने लिए बेहद आवश्यक है उसकी उपेक्षा करने की कल्पना भी न की जाए। ऐसा होने पर आपकी पहचान समाप्त हो सकती है क्योंकि जिंदगी दूसरा मौका नहीं देती।
-सुशील गुप्ता, प्राध्यापक समाजशास्त्र