रइंफाल, २० नवंबर ।
पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम को तीखे विरोध के बाद मणिपुर से संबंधित अपना पोस्ट डिलीट करना पड़ा। चिदंबरम ने एक्स पर पोस्ट कर कहा था कि मैतेयी, कुकी-जो और नगा एक राज्य में तभी साथ रह सकते हैं जब उनके पास क्षेत्रीय स्वायत्तता हो। इस पोस्ट के बाद मणिपुर कांग्रेस के नेता और पूर्व सीएम ओकराम इबोबी सिंह ने इसका विरोध किया। इबोबी ने कहा, जब हमने उनका पोस्ट देखा, मैने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से भी बात की। इस बात पर जोर दिया कि यह बयान चिदंबरम की निजी राय हो सकती है लेकिन इससे राज्य में बहुत गलतफहमी पैदा हो सकती है। इससे पहले चिदंबरम ने मणिपुर के हालात के लिए बीरेन सिंह को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को तुरंत हटाए जाने की मांग की। कहा कि पांच हजार जवानों को मणिपुर भेजना राज्य में संकट का समाधान नहीं है।मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने चिदंबरम पर पलटवार करते हुए कहा कि राज्य में इस समय जो संकट है उसके मूल कारण चिदंबरम हैं।
उन्होंने कहा, कांग्रेस सरकार के समय नेताओं की अनदेखी के कारण हमें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। चिदंबरम वर्तमान संकट का मूल कारण हैं।जब चिदंबरम तत्कालीन कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री थे और ओकराम इबोबी सिंह मणिपुर के सीएम थे, तो वे म्यांमार के एक नागरिक थांग्लियानपाउ गुइटे को लाए थे। वह जोमी री-यूनिफिकेशन आर्मी का अध्यक्ष था, जो म्यांमार में प्रतिबंधित है। मणिपुर के सीएम ने कहा, चिदंबरम ने कभी भी पूर्वोत्तर के लोगों की परवाह नहीं की।राज्य में यह संकट म्यांमार से आए घुसपैठियों के कारण है। घुसपैठिये मणिपुर और पूर्वोत्तर के मूल निवासियों पर हावी होने की कोशिश करते हैं। मणिपुर में जो समस्या है उसकी जड़ कांग्रेस है। वे इससे इतनी आसानी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने मणिपुर के हालात पर मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु को पत्र लिखा। उन्होंने राष्ट्रपति से यह सुनिश्चित करने के लिए उनसे हस्तक्षेप की मांग की कि राज्य के लोग शांति से रह सकें। पत्र में खरगे ने आरोप लगाया कि केंद्र और मणिपुर की राज्य सरकारें पिछले 18 महीनों के दौरान राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से विफल रही हैं।