जिले के कई निजी स्कूलों को लाइन पर लाने का प्रयास
कोरबा। राज्य सरकार के द्वारा 22 अप्रैल से 15 जून तक के लिए ग्रीष्म अवकाश की घोषणा कर विद्यार्थियों व छात्रों को राहत दी गई है। पहले से ही इसे लेकर अटकलें लगाई जा रही थी और निजी स्कूल प्रबंधन इसी उम्मीद में थे। इस बीच उन्होंने अगले दो महीनों का शिक्षण व वाहन शुल्क मनमाने तरीके से वसूल कर लिया। अब अभिभावकों ने इस मामले को लेकर क्रांति करना तय किया है, वे इस मूड में हैं कि अवकाश अवधि की मनमाने फीस को वापस लिया जाए।
जिले में 253 की संख्या निजी स्कूलों की है। इनमें अलग-अलग श्रेणी की कक्षाएं चलती हैं। बड़ी संख्या में निजी स्कूल ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है और बाकी तामझाम के साथ अपने कारोबार को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। खबर के अनुसार ऐसे ही स्कूलों ने सरकार के द्वारा घोषित ग्रीष्म अवकाश की संभावना से पहले ही तिकड़म भिड़ाने के साथ छात्रों के अभिभावकों से शिक्षण शुल्क और वाहन शुल्क की वसूली कर ली। बताया गया कि इस तरह का ढर्रा पहले से ही चलाया जा रहा है और अपनी कमाई को जारी रखने के लिए निजी स्कूल प्रबंधन किसी भी तरह का समझौता करने के मूड में नहीं है। प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से कार्रवाई का डंडा न होने के कारण उनका मनोबल बढ़ा हुआ है। इसलिए इस बार उन्होंने पहले ही 25 प्रतिशत फीस बढ़ा दी और उसके बाद मनमानी करते हुए ग्रीष्म अवकाश का शिक्षण व वाहन शुल्क भी ले लिया। मामला अब तूल पकड़ रहा है। कोरबा शहर से लेकर उपनगरीय क्षेत्र व अन्य इलाके के अभिभावकों ने मनमानी पर ब्रेक लगाने के लिए शिक्षा विभाग को शिकायत करते हुए अन्य स्तर पर इस मामले को ले जाना तय किया है। वे मनमानी फीस को वापस कराने के मूड में हैं और इसके लिए मोर्चा भी खोल सकते हैं। उनका कहना है कि उनके मौन रहने से आगामी समय से चुनौतियां बढ़ सकती है और इससे कुल मिलाकर जेब पर असर पड़ेगा।
ऑनलाइन क्लासेस का फंडा अपनाया
जानकारी मिली है कि मनमानी फीस वसूली की शिकायतें होने और कई स्तर से दबाव तेज होने को ध्यान में रख निजी स्कूल के संचालकों ने दांव-पेंच शुरू कर दिए। इसी के तहत आज से ऑनलाइन क्लासेस शुरू कराई गई है। सुबह 8 से दो घंटे के लिए बच्चों को स्मार्ट फोन पर व्यस्त रखने की कवायद की जा रही है ताकि मनमानी वसूली गई फीस की तरफ से ध्यान हटाया जा सके।
बच्चों को आंखों का खतरा
स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाले विशेषज्ञों के द्वारा पहले भी चिंता जताई गई है कि मोबाइल के स्क्रीन के आंखों पर सीधे संपर्क होने के कारण कई प्रकार के खतरे संभावित हैं। इस मामले में निरंतरता के कारण समस्याएं भी उत्पन्न होती है और दृष्टि संबंधी दोष हो सकते हैं। इसलिए अभिभावकों को सलाह दी जाती रही है कि वे बच्चों को मोबाइल से दूर रखें। कोविड के दौर में बने हुए नियम के कारण वैकल्पिक तरीके से ऑनलाइन क्लासेस का प्रयोग किया गया था लेकिन अब ऐसी कोई मजबूरी है नहीं। इसलिए अपनी कमाई के चक्कर में बच्चों को खतरे में झोंकने का मामला समझ से परे है।
प्रशासन और सरकार को इस मामले में संवेदनशीलता दिखाते हुए हस्तक्षेप करना चाहिए।