मुंबई, १० नवंबर।
ऑल इंडिया उलमा बोर्ड महाराष्ट्र द्वारा महाविकास आघाड़ी को दिए गए उस समर्थन के पत्र पर खुद महाविकास आघाड़ी के नेता ही असहज दिख रहे हैं, जिसमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध की मांग की गई है। मगर इस पत्र से यह भी साफ हो गया है कि महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम संगठनों में खुलकर महाविकास आघाड़ी (मविआ) के साथ दिखने की होड़ लग गई है।
महाराष्ट्र के ऑल इंडिया उलमा बोर्ड ने सात अक्तूबर, 2024 को एक पत्र लिखकर दावा किया था कि वह महाराष्ट्र में सक्रिय मुस्लिम उलमाओं का संगठन है। इसकी 2023 में महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के साथ मुंबई में बैठक हुई थी, जिसमें बोर्ड ने लोकसभा चुनाव में मविआ को समर्थन देने का फैसला किया था। इसके अनुसार ही उसने सभी 48 लोकसभा क्षेत्रों में कांग्रेस एवं मविआ के अन्य दलों को समर्थन दिया। जिसके परिणामस्वरूप लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में कांग्रेस को अच्छी सफलता मिली। पत्र में कहा गया है कि हम विधानसभा चुनाव में भी मविआ को समर्थन का पत्र दे रहे हैं। अगर राज्य में मविआ की सरकार बनती है, तो हमारी इन 17 मांगों को पूरा किया जाए।
उलमा बोर्ड की 17 मांगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबंध लगाने की मांग भी शामिल है। अब इंटरनेट मीडिया पर उलमा बोर्ड के इस समर्थन पत्र के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल के हस्ताक्षर से उलमा बोर्ड को भेजे गए पत्र भी खूब वायरल हो रहे हैं। इन पत्रों में दोनों नेताओं ने विधानसभा चुनाव में समर्थन देने के लिए उलमा बोर्ड को धन्यवाद दिया है, और सरकार बनने पर उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन भी दिया है। ये पत्र सार्वजनिक होने पर दोनों दलों के नेता असहज महसूस कर रहे हैं, और कह रहे हैं कि ऐसा कोई पत्र उनकी ओर से नहीं दिया गया है।