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महाकुंभनगर, २७ फरवरी ।
महाकुंभ के अंतिम स्नान पर्व महाशिवरात्रि पर न सिर्फ संगम अपितु पूरा कुंभनगर क्षेत्र शिवमय हो उठा। हर-हर महादेव..बम बम भोले.. शिव शंभू.. का उद्घोष करते श्रद्धालुओं ने संगम में गोता लगाया तो गंगा की लहरें जैसे और वेगवान हो उठीं। हर दिशा से श्रद्धालुओं के आने का क्रम बना रहा और सभी घाटों पर अपार भीड़ उमड़ी।स्नान का क्रम मंगलवार आधी रात से शुरू हो गया था, जो बुधवार रात तक चलता रहा। प्रशासन ने 1.53 करोड़ श्रद्धालुओं के स्नान का अनुमान लगाया है। महाशिवरात्रि के साथ ही 45 दिन चले महाकुंभ का समापन हो गया। विश्व के इस सबसे बड़े समागम में 66.30 करोड़ श्रद्धालुओं ने स्नान किया है जो बड़ा कीर्तिमान है। श्रद्धालुओं की वापसी का क्रम शुरू हो गया है, हालांकि अभी कुछ दिनों तक भीड़ बने रहने का अनुमान है। महाशिवरात्रि के एक दिन पहले ही प्रयागराज में भीड़ उमडऩे लगी थी, इसे देखते हुए यातायात के विशेष प्रबंध किए गए थे, लेकिन स्थिति नियंत्रण में देख आपात प्लान हटा दिया गया। अंतिम स्नान पर्व पर तीन सौ ट्रेनों का संचालन हुआ। इनमें 141 विशेष ट्रेनें थीं। बसों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।पूरे दिन उल्लास, उत्साह और उमंग का वातावरण रहा। संगम सहित गंगा के समस्त घाटों पर दिनभर स्नान चला। सूर्योदय के बाद तपिश झेलनी मुश्किल थी, लेकिन उसमें आस्था भारी पड़ी। हर पल भीड़ बढ़ती गई। श्रद्धालु कई किलोमीटर तक पैदल चलने के बावजूद प्रफुल्लित थे। पिछले स्नान पर्वों की भांति महाशिवरात्रि पर भी हेलीकॉप्टर से श्रद्धालुओं पर पुष्पवर्षा की गई।13 जनवरी को पौष पूर्णिमा से शुरू हुआ महाकुंभ अपनी भव्यता के लिए पूरे विश्व में आकर्षण का केंद्र बना। मुख्य स्नान पर्व मौनी अमावस्या पर साढ़े सात करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। माघी पूर्णिमा पर कल्पवास समाप्त होते ही श्रद्धालुओं की संख्या कम होने लगती है, लेकिन इस बार हर दिन श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती गई। 15 से 26 फरवरी तक प्रतिदिन एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने स्नान किया। पूरे महाकुंभ के दौरान हर दिन औसतन डेढ़ करोड़ लोगों ने संगम में डुबकी लगाई।यह पहला महाकुंभ है जिसमें उत्तर और दक्षिण के प्रमुख धर्मगुरु उपस्थित रहे। हर संप्रदाय के संत शामिल हुए। पुरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती, द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती, श्रृंगेरी पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी विधुशेखर भारती, कांचि कामकोटि पीठाधीश्वर जगदगुरु शंकराचार्य स्वामी शंकर विजयेंद्र सरस्वती, शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती सहित हर पंथ और संप्रदाय के संतों ने संगम की रेती पर लोक कल्याण के निमित्त जप-तप किया।महाशिवरात्रि से पहले प्रयागराज एयरपोर्ट 24 व 25 फरवरी को प्रदेश का सबसे व्यस्ततम एयरपोर्ट बन गया। इन दो दिनों में 50 हजार से अधिक यात्रियों और 544 विमानों का आवागमन हुआ। इसमें आश्चर्यजनक रूप से 222 चार्टर भी शामिल रहे। 25 फरवरी को तो एयरपोर्ट ने अपनी सर्वकालिक ऊंची छलांग लगाई और एक ही दिन में 27,573 यात्रियों का आवागमन हुआ। यह अद्भुत आंकड़ा है, जो किसी भी घरेलू एयरपोर्ट के लिए मील का पत्थर है।महाकुंभ में संगम स्नान के लिए आने वाले अधिकतर श्रद्धालुओं की कोशिश अयोध्या व काशी दर्शन की भी रही। अयोध्या में रामलला के दर्शन के लिए डेढ़ माह में लगभग 1.26 करोड़ से अधिक श्रद्धालु पहुंचे। इससे पूर्व मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के उपरांत एक वर्ष में लगभग चार करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किया था, जिसमें सात हजार से अधिक विदेशी भी सम्मिलित थे।
इस दौरान वाराणसी में बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 2.40 करोड़ को पार कर चुकी है। सिर्फ महाशिवरात्रि पर देर रात तक आठ लाख से अधिक श्रद्धालु दर्शन कर चुके थे।