सेक्टर स्तर पर बनाई गई काम्बैक्ट टीमें
कोरबा। बारिश का सीजन शुरू होने के साथ भले ही लोगों को आने वाले दिनों में भारी तपिश से राहत मिल सकती है लेकिन चुनौती इस बात की होगी कि मौसम के संधि काल में संक्रामक बीमारियां भी परेशानी का कारण बन सकती है। ऐसा अक्सर होता है। कोरबा जिले में स्वास्थ्य विभाग ने पिछले तीन वर्ष के रिकार्ड के आधार पर जिले भर में संवेदनशील इलाकों को चिन्हांकित करने के साथ वहां स्वास्थ्य सेवाओं की बेहतरी पर ध्यान दिया है। अगले तीन महीने के लिए संबंधित क्षेत्रों में जीवन रक्षक दवाओं की उपलब्धता कराई गई है।
कोरबा जिले के कोरबा और पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड में गर्मी की विदाई और मानसून के सक्रिय होने के बाद अनेक गांवों में जलजनित और मौसम के असर से बीमारियां फैलने का रिकार्ड रहा है। इस दौर में काफी लोग डायरिया की चपेट में आते रहे हैं। इसके समाधान के लिए लगातार प्रयास किये जाते रहे हैं लेकिन इस दिशा में अपेक्षाकृत नतीजे नहीं आ सके हैं। मौसम के तेवर में बदलाव आने के साथ स्वास्थ्य विभाग ने सक्रियता दिखाई है। उक्तानुसार संवेदनशील गांवों के साथ-साथ पहुंचविहीन क्षेत्रों को सूचिबद्ध करते हुए वहां ओआरएस के साथ-साथ डायरिया को नियंत्रित करने वाली दवाएं, इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में भंडारित कराई गई। जिले के 35 से अधिक सेक्टर के साथ-साथ ऐसे क्षेत्रों के पीएचसी और उप स्वास्थ्य केंद्रों में भी इस तरह की व्यवस्था कराई गई है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने बताया कि कोरबा विकासखंड के आमापाली, मालीकछार, बलसेंधा, नदीटिकरा, टापरा, मुड़धोवा, छातासराई, खोखराआमा, बरपाली, सोनारी, कमरोल, रनगढ़ा, कुदरीचिंगार, चिरईझुंझ, चीतामुड़ा, बांसाखर्रा, राजाडाही, छिंदकोना, सारबहार जैसे गांव इस श्रेणी में शामिल हैं। जबकि करतला में केरवा, पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक में आमाटिकरा, पनगवा, महतोपारा, कुटेसरनगोई, आमाटिकरा, सहेलीभाठा, बाघमाड़ा, बहरीझोरकी जैसे गांव में बीते तीन वर्ष में आंत्रशोथ का कहर बरपा है। पाली विकासखंड के बेनीआमा, चोरकाडांड, तीनझरियापारा, बांसनाला, मांझीपारा को विभाग ने संवेदनशील माना है और इन सभी क्षेत्रों में उक्तानुसार सभी आवश्यक प्रबंध स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से कराया है।
24 पहुंचविहीन ग्रामों पर भी नजर
संक्रामक बीमारियों का फैलाव होने पर शहरी और सडक़ संपर्क के दायरे में आने वाले ग्रामों तक सरकारी टीम की पहुंच जल्द संभव होती है और पीडि़तों को अविलंब उपचार दिया जाना भी सहज होता है लेकिन समस्याएं वहां आती हैं जो क्षेत्र पहुंचविहीन हैं और वहां पर इंटरनेट कनेक्टिीविटी भी बड़ी बाधा है। स्वास्थ्य विभाग ने अकेले कोरबा ब्लॉक में 24 ऐसे गांवों की पहचान की है। इन गांवों में मालीकछार, बलसेंधा, बरपानी, सोनारी, गोलहर, सारबहार, खमहून, साजबहार, मजूर खरवन, कुदरीचिंगार, तेलबहार और बारानवन ऐसे इलाके हैं जो 102 और 108 की सुविधा के मामले में जिला व ब्लॉक मुख्यालय से 95 से लेकर 63 किलोमीटर की दूरी पर हैं। जबकि ऐसे इलाकों में उप स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति 8 से लेकर 25 किलोमीटर की दूरी पर है। ऐसे में पीडि़तों को स्वास्थ्य सुविधा का लाभ दिया जाना अभी भी बेहद चुनौतीपूर्ण है।
मुख्यालय में रहने के निर्देश
आसन्न स्थिति को ध्यान में रखने के साथ खासतौर पर संवेदनशील और पहुंचविहीन ग्रामों के मितानीन और उप स्वास्थ्य केंद्र के कर्मियों को कहा गया है कि वे हर हाल में आगामी आदेश तक अपने मुख्यालय में ही रहेंगे। उन्हें संबंधित संसाधन उपलब्ध कराए गए हैं और कहा गया है कि पीडि़तों के बारे में जानकारी मिलने के साथ आवश्यक रूप से उन्हें सुविधा मुहैया कराई जाए।
– डॉ. दीपक राज, बीएमओ कोरबा