मुंबई, २६ नवंबर ।
महाराष्ट्र में बंपर सीटें जीतने के बाद भी भाजपा नेतृत्व के लिए मुख्यमंत्री की गुत्थी सुलझाना आसान नहीं होगा। एक तरफ सियासी रणनीति में शरद पवार जैसे दिग्गज नेता को मात देने वाले देवेंद्र फडणवीस हैं तो ढाई साल के सुशासन और बाला साहब ठाकरे की शिवसेना का असली उत्तराधिकारी बनकर उभरे एकनाथ शिंदे के दावे को भी खारिज नहीं किया जा रहा है।यह सबकी सोच है कि इस बड़ी जीत के पीछे लाड़ली बहना योजना का हाथ है और राज्य में इसे शिंदे के साथ जोडक़र देखा जाता रहा है। खुद भाजपा के अंदर भी कई नेता हैं जो यह मानते हैं कि शिंदे का व्यक्तिगत असर भी रहा था। ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री चेहरा तय करने के साथ ही रोटेशन पर भी चर्चा होगी।अच्छी बात यह है कि मुख्यमंत्री और दोनों उपमुख्यमंत्रियों के बीच लगातार चर्चा हो रही है। लिहाजा कोई फैसला होने में थोड़ा वक्त लग सकता है। यह मामला दो तीन दिन से लेकर एक सप्ताह तक खिंच सकता है। नई सरकार बनने तक एकनाथ शिंदे कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करते रहेंगे।ढाई साल पहले शिवसेना टूटने के बाद ही देवेंद्र फडऩवीस मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार थे और उन्होंने इसका एलान भी कर दिया था, लेकिन एक रणनीति के तहत केंद्रीय नेतृत्व ने उन्हें उपमुख्यमंत्री के लिए तैयार किया, ताकि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना समर्थक एकजुट हो सकें। यह रणनीति सफल रही और उद्धव ठाकरे गुट हाशिये पर आ गया।भले ही चुनाव के पहले एकनाथ शिंदे को अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में आधिकारिक रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया गया हो, लेकिन देवेंद्र फडणवीस बार-बार मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में चुनाव लडऩे की बात करते रहे हैं। एकनाथ शिंदे के दावे को खारिज करने के लिए 2014 और 2019 का तर्क दिया जा रहा है, लेकिन 2024 की स्थिति उनसे बिल्कुल अलग है।
2014 में शिवसेना और भाजपा अलग-अलग लड़ी थी और सबसे बड़ी पार्टी बनने के बाद शिवसेना ने देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री के रूप में सहजता से स्वीकार कर लिया था। वहीं 2019 में भाजपा ने स्पष्ट रूप से देवेंद्र फडणवीस को अगले मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में पेश किया था। इसी आधार पर भाजपा ने उद्धव ठाकरे की मुख्यमंत्री की मांग को अनुचित ठहराते हुए नकार दिया था।दूसरी ओर 2019 में भाजपा की लोकसभा में 303 सीटें थीं और केंद्र में सरकार चलाने के लिए उसे किसी दल की सहयोग की जरूरत भी नहीं थी। वहीं 2024 में 240 सीटें के साथ भाजपा सरकार चलाने के लिए सहयोगी दलों पर निर्भर है। जाहिर है महाराष्ट्र में भाजपा को सरकार बनाने के लिए भले ही शिंदे की जरूरत नहीं हो, लेकिन लोकसभा में उनके आठ सांसदों की अहमियत से इन्कार नहीं किया जा सकता है।भाजपा केंद्रीय नेतृत्व को इन सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही मुख्यमंत्री का फैसला लेना होगा। माना जा रहा है कि सोमवार देर रात या मंगलवार को देवेंद्र फडणवीस से शीर्ष नेतृत्व की मुलाकात के दौरान इन पर चर्चा होगी।