नईदिल्ली, 0५ जनवरी ।
आइजोल मणिपुर में जारी हिंसा के बीच केंद्र सरकार ने मिजोरम-म्यांमार सीमा पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। मिजोरम की म्यांमार से 510 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है और यहां लोगों की आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ अहम दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों के तहत बिना बाड़ वाली अंतरराष्ट्रीय सीमा के दोनों ओर 10 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोगों की आवाजाही की छूट दी गई है, लेकिन इनकी आवाजाही को नियंत्रित करने और अवैध घुसपैठ को रोकने के लिए बॉर्डर पास अनिवार्य कर दिया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि म्यांमार और भारत के नागरिकों को एक दूसरे के देश जाने के लिए सात दिनों का वैध बॉर्डर पास जारी किया जाएगा। हालांकि इस पास को पाने के लिए आवेदनकर्ता को यह सत्यापित करना होगा कि वे सीमा के दोनों तरफ 10 किलोमीटर के दायरे में रहते हैं। 31 दिसंबर से नए दिशा-निर्देश जारी हो गए हैं। मिजोरम के छह जिले- चम्फाई, सियाहा, लॉन्ग्टलाई, हनाहथियाल, सैतुअल और सेरछिप की 510 किलोमीटर लंबी सीमा म्यांमार के चिन स्टेट से लगती है। शुक्रवार को चम्फाई जिले की पुलिस ने एक सार्वजनिक नोटिस जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि भारत और म्यांमार के लोग जो एक दूसरे देशों की यात्रा करना चाहते हैं, उन्हें अब बॉर्डर पास की जरूरत होगी और यह बॉर्डर पास सात दिनों के लिए वैध होगा। भारत को पूर्वोत्तर राज्यों मिजोरम, मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश की सीमाएं सटी हुई हैं। ये सीमा करीब 1600 किलोमीटर लंबी है। सीमाओं के दोनों तरफ विभिन्न जनजातियों के लोग रहते हैं और अलग-अलग देश से होने के बीच इनके बीच करीबी रिश्ते हैं। इस वजह से अक्सर मिलने-जुलने और व्यापार के लिए दोनों देशों के लोग एक दूसरे देश आते-जाते रहते हैं। ऐसी स्थिति में इन लोगों को वीजा के चलते परेशानी न हो, दोनों ही देशों की सरकारों ने मुक्त आवाजाही की सुविधा दी हुई है। इस मुक्त आवाजाही के तहत दोनों तरफ 16 किलोमीटर के दायरे में रहने वाले लोग आसानी से एक दूसरे देश आ-जा सकते हैं, लेकिन अब ये सीमा घटाकर 10 किलोमीटर कर दी गई है।
हालांकि इसकी आड़ में अवैध घुसपैठ और तस्करी को भी बढ़ावा मिल रहा था, जिसके चलते सरकार ने बॉर्डर पास की व्यवस्था की है।