कोरबा। साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड गेवरा प्रोजेक्ट्स मैं हुए हादसे में मैकेनिकल फिटर जयपाल सिंह पिता गरुड़ सिंह की दर्दनाक मौत हो गई। सुरक्षा चौराहे पर हुई दुर्घटना पर कई सवाल खड़े हो गए हैं। डायरेक्टर जनरल माइंस सेफ्टी (डीजीएमएस) की टीम ने आज गेवरा पहुंचकर इस मामले की जांच शुरू की। जांच में आने वाले तथ्यों के आधार पर आगे जवाबदेही तय की जाएगी।
14 अक्टूबर को सामान्य पाली में दोपहर के समय साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के गेवरा प्रोजेक्ट के अंतर्गत सुरक्षा चौराहे पर यह दुर्घटना हुई। इसमें मालगांव निवासी जय लाल सिंह की तुरन्त मौत हो गई। वह ड्यूटी समाप्त करने के बाद अपनी बाइक से घर जाने के लिए निकला था। उसी दौरान गेवरा प्रोजेक्ट के सुरक्षा चौराहे पर एक भारी वाहन ने उसे अपनी चपेट में ले लिया। वाहन की टक्कर से जहां बाइक क्षतिग्रस्त हो गई, जबकि कर्मी लहूलुहान हो गया। घटनास्थल पर ही उसके प्राणपखेरू उड़ गए। दुर्घटना के बाद जानकारी होने पर प्रबंधन हरकत में आया और औपचारिकता के तौर पर मृत कर्मिं का शव यहां से उठाकर विभागीय अस्पताल ले जाया गया। आखिरकार उसकी मौत हो गई। दीपिका पुलिस ने इस प्रकरण में सूचना प्राप्त होने के साथ मर्ग कायम किया है। वही खदान क्षेत्र में हुई दुर्घटना को लेकर खान सुरक्षा महानिदेशालय की ओर से प्रकरण में संज्ञान लेने के साथ आज से इसकी जांच शुरू की गई है। डीजीएमएस की बिलासपुर स्थित इकाई के अधिकारी शनिवार की रात को ही गेवरा पहुंच गए थे। रविवार को उन्होंने मौके पर पहुंचकर जायजा लिया और तथ्यों को जाना। खदान क्षेत्र में होने वाली इस तरह की घटना के मामले में डीजीएमएस अपने स्तर पर जांच करता है और इसके बाद आगे की कार्रवाई प्रबंधन की ओर से की जाती है। पूरे प्रकरण में सबसे बड़ा सवाल यह उठ रहा है कि जिन क्षेत्रों में भारी वाहनों को चलने की मनाही है, वहां पर आखिर उनकी एंट्री किस आधार पर और किसकी मेहरबानी से हो रही है। कोयला कंपनी के कर्मचारी को इसी बात का इंतजार है कि इस पहलू पर आगे किस तरह की जांच होती है और कौन-कौन लोग इस मामले में नप सकते हैं।
डिप्टी जीएम कर रहे अलग तरह के दावे
इस पूरे मामले में गेवरा प्रोजेक्ट के डिप्टी जनरल मैनेजर के द्वारा जारी किए गए एक पत्र की अब चर्चा हो रही है जिसमें कहा गया है कि हल्के वाहन से कर्मचारी जय लाल सिंह को चोट आई , जिसके बाद उसे चिकित्सालय ले जाया गया जहां पर उसकी मौत हो गई। जबकि प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि घटनाक्रम के दौरान ही कर्मचारी का प्राणान्त हो चुका था। इस मामले में अधिकारी अलग दावा क्यों कर रहा है, यह समझ से परे है।