नईदिल्ली, १५ दिसम्बर ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि सत्ता के लालच में खून का स्वाद लगने के बाद कांग्रेस ने बार-बार संविधान को जख्मी किया है। लेकिन, 2014 से हमारी सरकार ने देश की एकता और अखंडता के लिए काम किया है। लोकसभा में संविधान पर चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने धारदार भाषण में एक तरफ जहां यह साबित करने की कोशिश की कि कांग्रेस संविधान की मर्यादाओं को कभी सम्मान नहीं दे सकती है, वहीं उदाहरणों के साथ यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा शासन में जो कुछ हुआ और हो रहा है वह संविधान की मूल भावना के अनुरूप है।संविधान बदलने के विपक्षी नैरेटिव को पूरी तरह खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि संविधान में सबसे अहम देश की एकता, अखंडता और जनहित है। उनकी सरकार के हर काम इसी दिशा में हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस के मुंह में संविधान की अवहेलना का खून लग चुका है। विपक्षी पार्टी अपने माथे से आपातकाल का पाप नहीं मिटा सकती है। कांग्रेस की ओर से वक्ताओं ने मोदी सरकार पर संविधान विरोधी होने का आरोप लगाया था। प्रधानमंत्री ने गिनाया कि 1951 में नेहरू की अंतरिम सरकार से लेकर मनमोहन सिंह के कार्यकाल और उसके बाद भी गांधी परिवार के व्यक्ति ने संविधान को तार-तार किया। नेहरू ने तभी संविधान में संशोधन कर दिया था, जब उनकी सरकार चुनी भी नहीं गई थी। नेहरू ने राज्यों को पत्र लिखकर कहा कि अगर संविधान हमारे रास्ते में आएगा तो उसे भी बदल देना चाहिए। कांग्रेस के इस पाप पर देश चुप नहीं था। राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने चेताया कि यह गलत हो रहा है।स्पीकर ने भी गलत बताया,किंतु नेहरू का अपना संविधान चलता था। उन्होंने यह पाप किया। जो विष नेहरू ने बोया था, उसे इंदिरा ने भी 1975 में आगे बढ़ाया। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को संविधान बदलकर संसद की मर्जी को सर्वोपरि कर दिया। अदालत के पंख काट दिए। संविधान के 25 साल हुए तो इंदिरा गांधी ने 1975 में आपातकाल लगाकर सभी स्वतंत्रता छीन ली। देश को जेल बना दिया गया। कांग्रेस इस पाप को नहीं मिटा सकती। जब भी दुनियाभर में लोकतंत्र की चर्चा होगी, कांग्रेस के इस पाप को याद किया जाएगा। राजीव गांधी आए तो एक महिला शाहबानो को जो अधिकार सुप्रीम कोर्ट से मिला, वोट बैंक की खातिर उसे भी छीन लिया। मनमोहन सिंह सरकार में चुनी हुई सरकार के ऊपर एक असंवैधानिक एनएसी (राष्ट्रीय सलाहकार परिषद) को बिठा दिया।प्रधानमंत्री रहते हुए मनमोहन ने माना कि उनकी प्रतिबद्धता पार्टी के लिए है। राहुल का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि मनमोहन के कैबिनेट ने जो फैसला लिया था वह उनका संवैधानिक अधिकार था, लेकिन एक अहंकारी व्यक्ति ने उस कैबिनेट के फैसले को सार्वजनिक रूप से फाडक़र बता दिया कि उनके लिए संविधान कुछ नहीं है।पीएम ने कहा कि यह देश जानता है कि भारत के इतिहास में सबसे बड़ा जुमला है, गरीबी हटाओ। इसका इस्तेमाल चार पीढिय़ों से किया जा रहा है। यह ऐसा जुमला था, जिससे कांग्रेस को राजनीतिक लाभ तो हुआ, लेकिन गरीबों को कोई फायदा नहीं हुआ। कांग्रेस पर संविधान का अनादर करने का आरोप लगाते हुए मोदी ने 25वें, 50वें और 60वें वर्ष का जिक्र किया। कहा कि संविधान के जब 25 वर्ष पूरे हो रहे थे तो आपातकाल लगा दिया गया। देश को जेलखाना बना दिया गया। किंतु जब संविधान के 50 वर्ष पूरे हुए तो अटल बिहारी सरकार ने संविधान दिवस मनाया था। मुझे भी संविधान की प्रक्रिया से ही सीएम बनने का सौभाग्य मिला था। पीएम ने देश को तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने के प्रति संकल्प जताया।
जब 60 साल हो रहा था तो गुजरात सरकार ने संविधान की यात्रा निकाली थी। तब वहां के मुख्यमंत्री के तौर पर खुद नरेन्द्र मोदी उस यात्रा के साथ चले थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस काल में संविधान के संशोधन व्यक्तिगत लाभ और हित के लिए किए गए। जबकि भाजपा के शासनकाल में राष्ट्र हित के लिए हुए। इसी क्रम में उन्होंने अनुच्छेद 370 को हटाने, महिला आरक्षण लाने जैसे कदमों का उल्लेख किया। पौने दो घंटे के अपने वक्तव्य में पीएम मोदी ने परिवारवादी राजनीति पर फिर प्रहार करते हुए दोहराया कि गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के करीब एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है। मोदी ने देश की एकता को राजग सरकार की प्राथमिकता बताया और कहा कि अनुच्छेद 370 बाधा बना हुआ था। उसे हटा दिया।एकता को मजबूती देने के लिए ही वन नेशन वन टैक्स, वन नेशन वन राशन कार्ड, वन नेशन वन ग्रिड एवं वन नेशन वन हेल्थ कार्ड की व्यवस्था की। देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत किया।
मातृभाषा की अहमियत स्वीकारी।संविधान की विशेषता बताते हुए मोदी ने महिला अधिकार का जिक्र किया और कहा कि गर्व की बात है कि भारत ने सबसे पहले यह काम किया। अन्य देशों ने इस काम को दशकों बाद किया। संयोग है कि हम संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं तो राष्ट्रपति महिला हैं। सदन में महिला सदस्यों की संख्या भी बढ़ रही है।