इंदौर, 0७ सितम्बर ।
राजस्थान के कोटा के विश्व प्रसिद्ध खड़े गणेश मंदिर की तरह ही इंदौर के रावजी बाजार में 700 वर्ष पुरानी खड़े गणेश की नृत्य मुद्रावाली पांच फीट ऊंची प्रदेश की एकमात्र मूर्ति है। चिंताहरण गणेश के नाम से प्रसिद्ध खड़े गणेश की यह मूर्ति 300 वर्ष पुराने मंदिर में विराजमान है। आमतौर पर गणेश मंदिरों में भगवान गणेश के बैठे हुए स्वरूप के दर्शन होते हैं, लेकिन यहां वे नृत्य मुद्रा में विराजित हैं। मूर्ति का निर्माण उस समय हर माह पुष्य नक्षत्र आने पर ही कारीगर द्वारा किया गया था। मंदिर की वर्तमान इमारत का निर्माण जमींदार परिवार द्वारा इंदौर स्थापना के कुछ अरसे पश्चात हुआ था।चांदी के आवरण वाले गर्भगृह में लोग घरों में होने वाले मांगलिक कार्यों के लिए उनकी पूजा-अर्चना करते हैं। मनोकामना पूर्ति के लिए श्रद्धालु यहां तीन या सात परिक्रमा लगाते हैं। मंदिर ट्रस्ट के सचिव राजेंद्र व्यास बताते हैं कि पुराने दौर मे पिछले बड़े दरवाजे के पास से कलकल बहती कान्ह नदी इसे शोभायमान बनाती थी।पहले पुजारी ब्रह्मलीन पं. शालिग्राम शास्त्री (पुराणिक) कहते थे कि शयन आरती के दौरान भक्तों को गणेश नृत्य मुद्रा की अनुभूति होती थी। श्रद्धालु गणनायक के नाम चि_ी भेजते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
गणेश व्रत संकल्प पूर्ण होने पर अनुष्ठान होता है। भक्त कलावा बंधवाकर ग्रहण करते हैं प्रसाद भक्त मंडल के निलेश तिवारी बताते हैं कि विवाह तथा उपनयन संस्कार की पत्रिका यहां भी प्रेषित की जाती है। गणपति के आशीर्वाद से सभी मांगलिक कार्य निर्विघ्न संपन्न होते हैं। भक्त कलावा बंधवाकर प्रसाद ग्रहण करते हैं। गर्भगृह में प्रवेश हेतु नियम पालन आवश्यक है। बुधवार और प्रतिमाह की चतुर्थी पर विशेष साज-सज्जा होती है। हार-फूल के साथ पान के पत्ते भोग स्वरूप अर्पित किए जाते हैं। यहां से बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन की दूरी दो-ढाई किलोमीटर है।