मॉस्को, ३० अक्टूबर ।
अपनी परमाणु शक्ति दिखाने के लिए रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने मंगलवार को देश के परमाणु बलों का नया अभ्यास शुरू किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि रूस को परमाणु हथियारों को तैयार रखने की जरूरत है। युक्रेन के साथ पिछले ढाई वर्ष से ज्यादा समय से जारी युद्ध के अहम बिंदु पर रूस इस तरह का परमाणु प्रशिक्षण अभ्यास महज दो सप्ताह में दूसरी बार कर रहा है। मास्को लगातार कह रहा है कि अगर अमेरिका और उसके सहयोगी देश लंबी दूरी की मिसाइलों के साथ यूक्रेन की मदद करते हैं तो रूस जवाब देगा। रूसी राष्ट्रपति भवन क्रेमलिन की ओर से जारी किए गए वीडियो में पुतिन अभ्यास की घोषणा करते दिखाई दिए। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, हम बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के साथ परमाणु हथियारों के उपयोग को नियंत्रित करने के लिए अधिकारियों के साथ काम करेंगे। परमाणु हथियारों का प्रयोग एक अत्यंत असाधारण उपाय होगा, लेकिन इन्हें उपयोग के लिए तैयार रखना होगा। रूसी बलों ने इससे पहले 18 अक्टूबर को परमाणु अभ्यास किया था। रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु शक्ति है। अकेले रूस और अमेरिका के पास विश्व के 88 प्रतिशत परमाणु हथियार हैं। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने युद्ध के दौरान रूस के परमाणु रुख में कोई बदलाव नहीं देखा है। लेकिन 2022 में संयुक्त राज्य अमेरिका सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के निदेशक बिल बर्न्स के अनुसार, रूस द्वारा सामरिक परमाणु हथियारों के संभावित उपयोग के बारे में इतना चिंतित है कि उसने पुतिन को ऐसे हथियारों के उपयोग के परिणामों के बारे में चेतावनी दी है।
हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने रूस को चेतावनी दी है कि यदि वह परमाणु हथियार का प्रयोग करेंगे तो यह जंग सीधा तीसरे विश्व युद्ध की ओर जा सकती है। रिपब्लिकन राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प ने भी परमाणु युद्ध के जोखिम के बारे में चेतावनी दी थी। पुतिन ने कहा कि बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और नए बाहरी खतरों और जोखिमों को देखते हुए आधुनिक और लगातार उपयोग के लिए तैयार रणनीतिक बलों का होना महत्वपूर्ण है। रूस नई स्थिर और मोबाइल-आधारित मिसाइल प्रणालियों की ओर बढ़ रहा है।पेंटागन ने सोमवार को कहा कि अगर उत्तर कोरिया रूस के युद्ध में शामिल होता है, तो अमेरिका यूक्रेन के अमेरिकी हथियारों के उपयोग पर नई सीमाएं नहीं लगाएगा, क्योंकि नाटो ने कहा कि उत्तर कोरियाई सैन्य इकाइयों को रूस के कुस्र्क क्षेत्र में तैनात किया गया है।