कोलकाता, १८ दिसम्बर ।
अवैध बांग्लादेशी निवासियों के लिए फर्जी भारतीय पासपोर्ट बनाने के मामले में मंगलवार को बंगाल से डाक विभाग के एक और संविदा कर्मचारी को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार व्यक्ति की पहचान तारकनाथ सेन के रूप में हुई है।सेन डाक विभाग से जुड़ा दूसरा संविदा कर्मचारी है, जिसे पिछले 48 घंटों के दौरान कोलकाता पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने गिरफ्तार किया है। 15 दिसंबर को फर्जी पासपोर्ट रैकेट के सिलसिले में समरेश बिस्वास और दीपक मंडल नामक दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उसके पहले समरेश के बेटे रिपन को गिरफ्तार किया गया था। दीपक भी डाक विभाग का संविदा कर्मचारी था।पुलिस के सूत्रों ने कहा कि डाक विभाग के दो संविदा कर्मचारियों की लगातार गिरफ्तारी से यह आशंका और मजबूत हो गई है कि इस तरह के रैकेट ने उक्त विभाग के कुछ अंदरूनी लोगों के बीच एक नेटवर्क विकसित कर लिया है। यह पता लगाने के लिए जांच की जा रही है कि क्या उक्त विभाग के कुछ स्थायी कर्मचारी भी इस रैकेट में शामिल थे। जांच अधिकारियों ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए फर्जी भारतीय पहचान दस्तावेजों की व्यवस्था करने वाले इन रैकेटों के कामकाज में कई सामान्य पैटर्न की पहचान की है। हाल ही में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के पूर्व सहयोगी सलीम मतब्बर को मध्य कोलकाता के पार्क स्ट्रीट इलाके के एक होटल से गिरफ्तार किया गया था।पुलिस ने उसके कब्जे से एक फर्जी भारतीय पासपोर्ट भी बरामद किया। जांच में पता चला कि मतब्बर ने अवैध रूप से सीमा पार करने के बाद भारत-बांग्लादेश सीमावर्ती जिले नदिया से संचालित एक रैकेट से अपने फर्जी भारतीय दस्तावेज हासिल करने में कामयाबी हासिल की।बंगाल में सीबीआई के कार्यालय में 200 से ज्यादा भ्रष्टाचार के मामले बंद पड़े हैं। दरअसल 2018 के बाद से राज्य सरकार ने केंद्रीय एजेंसी के मामलों में अपनी सहमति देना बंद कर दिया है।
इसके कारण गत छह वर्षों में सीबीआई की फाइलों में शिकायतों का अंबार लग गया है। इनमें ज्यादातर वित्तीय भ्रष्टाचार से जुड़े मामले हैं।सीबीआई सूत्रों के मुताबिक संविधान के मुताबिक सभी राज्यों में दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा पांच और छह के तहत केस दर्ज करना होता है। अनुच्छेद संख्या छह में कहा गया है कि वित्तीय भ्रष्टाचार सहित किसी भी अन्य मामले में संबंधित राज्य की सहमति के बिना कोई एफआइआर दर्ज नहीं की जा सकती है।1989 से सीबीआई बंगाल में केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों की जांच कर रही है। 2018 तक राज्य द्वारा अनुपालन में कोई बाधा नहीं थी। राज्य में चार में से तीन सीबीआई कार्यालय वित्तीय धोखाधड़ी की जांच करते हैं। बैंक धोखाधड़ी से लेकर केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों के भ्रष्टाचार, सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार की जांच इन तीन विभागों के दायरे में आती है।
लेकिन सूत्रों का दावा है कि राज्य की अनुमति नहीं मिलने के कारण भ्रष्टाचार के सुबूत मिलने के बाद भी सीबीआई के लिए कार्रवाई करना मुश्किल हो रहा है।सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि राज्य और केंद्र सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारियों को हमलोगों ने पकड़ा है। केंद्रीय एजेंसी का दावा है कि राज्य की सहमति के अभाव में अदालत आरोपितों के खिलाफ कानून के मुताबिक आरोपपत्र स्वीकार नहीं कर रही है और मुकदमे की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पा रही है।