जांजगीर-चांपा। रबी फसल के लिए अब हसदेव बांगो बांयी तट की नहरों में भी कसानों को पानी मिलेगा। किसानों की मांग पर जल उपयोगिता मिति में ये फैसला लिया गया है। बांयी तट नहर में 5 जनवरी से नी छोड़ा जाएगा। पहले केवल दांबी तट नहर में 1 जनवरी से नी देने का निर्णय हुआ था। इस तरह अब जांजगीर चाम्पा जिले आलावा सक्ती जिले में भी किसान नहर के पानी से रबी मल लेंगे।
अविभाजित जांजगीर चाम्पा जिले में हसदेव बांगो नहर से करीबन 10 प्रतिशत रकबे की सिंचाई होती है। जांजगीर चाम्पा ।सक्ती जिले में किसान नहर की मदद से अच्छी खेती करते खरीफ में धान की फसल लेने के आलावा रबी में गेहूं के साथ दलहन तिलहन की खेती की जाती है। इस साल बारिश भी ही हुई है, जिसके कारण हसदेव बांगो बांध का जल भराव भी बता से 73 फीसदी अधिक है। ऐसे में किसानों ने रबी फसल के र नहर से पानी की मांग की थी। माहभर पहले हुई जिला जल योगिता समिति की बैठक में 1 जनवरी से दांयी तट नहर में बांयी तट के नहरों की हालत खराब हो चुकी है। इस क्षेत्र में नहरों के मरम्मत की जरूरत है। मरम्मत के अभाव में टेल एरिया तक पानी नहीं पहुंच पाता। यही वजह है कि इन नहरों के मरम्मत कार्य के लिए पानी नहीं छोडऩे की योजना बनाई गई थी। जल्द ही मरम्मत का कार्य भी शुरू किया जाना था, लेकिन किसानों की मांग को देखते हुए मरम्मत कार्य को टाल कर पानी छोडऩे का फैसला लिया गया। पानी छोडऩे का निर्णय लिया गया था। दांयी तट में जांजगीर, नवागढ़, अकलतरा, पामगढ़ क्षेत्र में पानी दिया जाना था। लेकिन बांयी तट नहर में पानी देने को लेकर फैसला नहीं हुआ था। ऐसे में बम्हनीडीह, बिर्रा, जैजैपुर समेत अन्य क्षेत्र के किसानों द्वारा बांयी तट में भी पानी देने की मांग की जा रही थी। जिला पंचायत सदस्य गगन जयपुरिया के नेतृत्व में किसानों ने अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था। गुरुवार 26 दिसंबर को कलेक्टरेट सभाकक्ष में जिला जल उपयोगिता समिति की बैठक बुलाई गई। जैजैपुर विधायक बालेश्वर साहू के साथ बड़ी संख्या में किसान कलेक्टरेट पहुंचे और नहर में पानी देने की मांग की। किसानों को मांग को देखते हुए बांयी तट नहर में भी 5 जनवरी से पानी छोडऩे का फैसला लिया गया। किसान अब अपनी सुविधा के अनुसार ग्रीष्मकालीन फसल लगा सकते है। जल संसाधन विभाग के कार्यपालन अभियंता शशांक सिंह ने बताया कि समिति में विचार विमर्श के बाद रबी फसल के लिये हसदेव दांयी तट नहर एवं उसके नहर प्रणालियों में 1 जनवरी से 30 अप्रैल तक एवं हसदेव बायीं तट नहर प्रणाली में 5 जनवरी से 25 अप्रैल तक रबी फसल हेतु पानी देने का निर्णय लिया गया। इसके साथ ही इस अवधि में ही निस्तारी तालाबों को भरा जाना भी प्रस्तावित है।