रायपुर – देश के गृहमंत्री अमित शाह एक ओर छत्तीसगढ़ की नक्सल गतिविधियों में एक निश्चित समय सीमा के भीतर भले ही लगाम कंस देने यानी “नक्सल समस्या से मुक्त करने” का दावा करते हों, परन्तु इस सच्चाई को झुठलाया भी नहीं जा सकता है कि फ़िलहाल छत्तीसगढ़ राज्य में दिनों दिन “क्राइम का ग्राफ” लगातार बढ़ता जा रहा है।
राज्य की राजधानी रायपुर में तो बीते धनतेरस से लेकर दीपावली के मध्य मात्र 3 दिनों में ही एक के बाद एक कुल 7 हत्याओं ने यहाँ के रहवासियों के मन में असुरक्षा का भाव पैदा कर दिया है।
आख़िर कारण क्या है जिन वजहों से इस पर जिले की पुलिस लगाम नही लगा पा रही है।
इन वजहों के जिम्मेदारों को तत्काल पुलिस सिस्टम में सुधार लाने की महती जरूरत है ताकि राजधानी रायपुर के वाशिंदे चैन से रह सकें। राज्य में अमन सुख चैन एवं भयमुक्त वातावरण निर्मित करने के लिए राज्य शासन के मुखिया मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा को आगे आना ही होगा एवं जिला पुलिस बल के कर्मचारियों / अधिकारियों को उनके गृह जिलों में पदास्थापना न कर अन्यन्त्र जिलों में ही पदास्थापना का नियम बनाना होगा।
राज्य की राजधानी में सहित आसपास के क्षेत्रों में पिछले 5 से 7 सालों से जमे अधिकारियों को सुदूर अन्यन्त्र जिलों में तैनाती देकर एडिशनल एस.पी.स्तर के नवीन अधिकारियों को राजधानी का जिम्मा सौपना चाहिए ताकि राजधानी के थानों में बीते कई वर्षों से चल रहे सफेदपोश अपराधी एवं निचले दर्जे के कर्मचारी/अधिकारियों के मध्य बने संगठित गठजोड़ को तोड़ा जा सके. जिले के पुलिस कप्तान के निज़ात अभियान को आख़िर पलीता लग कैसे रहा है यह हमें बताने की जरूरत नहीं है पूरा सिस्टम उन्हीं के ही इर्दगिर्द है।
उन्हें सर्वप्रथम यह पहचान करने की जरूरत है कि बीते कई वर्षो पुलिस का ऐसा कौन सा कर्मचारी है जो राजधानी के आसपास के ही थानों में बीते 5 से 10 वर्षो से तैनात रहा है उसे शासन स्तर पर चर्चा कर अन्यन्त्र जिला स्थानांतरित करने की सख्त जरूरत है ताकि अपराधियों को संरक्षण मिलना बंद होगा और अपराधियों में पुलिस का भय कायम हो सकेगा और तभी जिले में शांति व्यवस्था कायम हो सकेगी।