
भाजपा ने ननकीराम को दोहराया, कांग्रेस ने बदला चेहरा
कोरबा। जिले में विधानसभा के चार सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। इनमें से दो सीट सामान्य है और दो आदिवासियों के लिए आरक्षित। आरक्षित सीट रामपुर में एक बार फिर पूर्व गृहमंत्री और मौजूदा विधायक ननकीराम कंवर का मुकाबला कांग्रेस के फूलसिंह राठिया से हो रहा है। हालांकि यहां से बसपा सहित अन्य प्रत्याशियों ने भी नामांकन दाखिल किया है। नाम वापसी से पहले इस बात की चर्चा इलाके में गर्म है कि क्या इस बार यहां पार्टियों के बीच चुनाव होगा या कंवर और राठिया के बीच। अथवा दूसरे मुद्दे चुनाव में हावी रहेंगे।
दरअसल रामपुर विधानसभा क्षेत्र में 02 लाख 14 हजार मतदाता है। इनमें मिश्रित मतदाता को छोड़ दिया जाए तो बड़ी संख्या कंवर और राठिया समुदाय की होती है। चुनाव में नतीजों को लेकर इनकी भूमिका से इंकार नहीं। बीते चुनावों में कांग्रेस और भाजपा की ओर से कंवर समुदाय से ही प्रत्याशी दिये जाते रहे हैं। जबकि अन्य दल और निर्दलीय के रूप में राठिया वर्ग अपनी उपस्थित दर्ज कराता रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने 6 बार के विधायक ननकीराम कंवर को एक बार फिर से रामपुर में मैदान में उतारा है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से इस बात को कहा कि वे अपने जीवन का अंतिम चुनाव लड़ रहे हैं। ननकीराम के सामने कांग्रेस की ओर से जोगी कांग्रेस के पूर्व प्रत्याशी रहे फूल सिंह राठिया हैं, जिन्हें लेकर पहले पहल खूब विरोध हुआ और बाद में बैठक कर संदेश देने की कोशिश की गई कि सबकुछ ठीक हो गया है। इस तरह से कांग्रेस ने रामपुर को लेकर अपना कार्ड बदला है। इसके पीछे उसका अपना अलग फार्मूला काम कर रहा है। जबकि बसपा से जगतराम के साथ-साथ आम आदमी पार्टी और अन्य दलों के द्वारा भी रामपुर से उम्मीदवार उतारे गए हैं। ये सभी मिलकर रामपुर में चुनावी तस्वीर को न केवल हवा देंगे बल्कि प्रभावित भी करेंगे।
इधर रामपुर के चुनाव को लेकर कई तरह की बातें शुरू हो गई है। कहा जा रहा है कि रामपुर में प्रमुख राजनैतिक दलों के बजाय यह लड़ाई अब समुदाय आधारित हो गई है। ऐसे में लड़ाई का केन्द्र बिन्दु कंवर विरूद्ध राठिया भी हो सकता है। इस बारे में भाजपा नेता ननकीराम कंवर कहते हैं कि इस तरह की धारणाएं कपोलकल्पित है और इनका बहुत मजबूत आधार नहीं है। क्योंकि मैं राठिया वर्ग को अपने से अलग समझता ही नहीं हूं। वे हमारे लिए पहले भी खास थे और आज भी। सबके साथ अच्छे संबंध हैं। इसलिए राजनीति का मामला अलग है और संबंध बिल्कुल अलग। उन्होंने कहा कि जिन लोगों की विश्वनीयता दलों के मामले में पहले से ही बेहतर नहीं रही एक अच्छे प्रतिनिधि के रूप में जनता उन पर चुनाव में विश्वास नहीं कर सकती। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा क्षेत्र में समस्याओं को हल करने के साथ कई जरूरतों को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास किया। सरकार की अनदेखी के कारण कुछ काम बचे हुए हैं, जिससे लोगों की नाराजगी विधायक के बजाय सरकार से है। रामपुर में 17 नवंबर को दूसरे चरण में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होना है, ऐसे में यहां विकास और अन्य कोई चीज बड़ा मुद्दा होगी, इसका पता अगले एक पखवाड़े में चलेगा।