श्रीनगर, 03 सितम्बर ।
विधानसभा चुनाव के लिए मतदान की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है वैसे ही नेताओं में राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप का स्तर भी बढऩे लगा है। इसमें जम्मू-कश्मीर के दो पूर्व मुख्यमंत्री सबसे आगे हैं। इन दोनों में एक-दूसरे को भाजपा का एजेंट साबित कर मतदाताओं के बीच अपनी विश्वसनीयता साबित करने की होड़ है। यह कोई और नहीं, बल्कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उनकी धुर विरोधी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती हैं।उमर और महबूबा दोनों ही आए दिन एक-दूसरे पर कश्मीर के हितों की अनदेखी कर भाजपा के साथ सांठ-गांठ का आरोप लगाते रहते हैं, लेकिन ताजा विवाद भाजपा नेता राम माधव को लेकर पैदा हुआ है। उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को गांदरबल जिले के कंगन में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि राम माधव पीडीपी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि पीडीपी के साथ उनके पुराने संपर्क हैं। मुझे लगता है कि वह भाजपा के कश्मीर मिशन को पूरा करने के लिए पीडीपी के साथ अभी भी संपर्क बनाए हुए हैं ताकि जम्मू-कश्मीर में भाजपा की सरकार बनाई जा सके। उन्होंने ही वर्ष 2015 में पीडीपी-भाजपा गठबंधन में अहम भूमिका निभाई थी। पीडीपी पर्दे के पीछे भाजपा का एजेंडा पूरा कर रही है।महबूबा मुफ्ती ने भी इस आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि उमर अब्दुल्ला तो भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही सबसे पहले भाजपा के साथ समझौता किया था। केंद्र सरकार ने जब जम्मू-कश्मीर में पोटा जैसा सख्त कानून लागू किया था। जब शाहतूश के शाल पर पाबंदी लगी, उस समय उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार में मंत्री थे। जब केंद्र सरकार ने आटोनामी के प्रस्ताव को रद्दी की टोकरी में फेंका था, तब उमर केंद्र में मंत्री थे। इसलिए हम पर आरोप लगाने से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं को अपने भीतर झांकना चाहिए।महबूबा ने कहा कि हमने जब भाजपा के साथ गठजोड़ किया तो सशर्त किया।
हमने अपने सिद्धांतों पर कोई समझौता नहीं किया। हमने 12 हजार नौजवानों के खिलाफ दायर एफआईआर को रद्द कराया, हमने जंगबंदी को लागू कराया, हमने केंद्र सरकार को अलगाववादियों से बातचीत के लिए मनाया। उन्होंने कहा कि नेशनल कॉन्फ्रेंस को जम्मू-कश्मीर से ज्यादा सत्ता से सरोकार है। मैं उसकी आलोचना नहीं कर रही हूं, बल्कि सच्चाई बयान कर रही हूं।