रिपोर्ट लिखने के बजाय सिर्फ लिखित सूचना प्राप्त कर रही पुलिस
कोरबा। लंबे समय तक एसईसीएल की कोयला खदानों पर केंद्रित डीजल चोरों का कारनामा अलग-अलग कारणों से थम गया, ऐसा कहा जा रहा है। अब डीजल चोरी के नए कारनामे कोरबा-बरबसपुर रिंग रोड पर हो रहे हैं। यहां खड़े भारी वाहनों को निशाना बनाने के साथ डीजल चोरी की जा रही है। इससे वाहन मालिक जमकर परेशान हैं। उनका दुख इस बात को लेकर है कि ऐसे मामलों में जानकारी देने पर पुलिस रिपोर्ट लिखने से बच रही है और वह हमारी लिखित शिकायत पर पावती देने का काम कर रही है।
पिछले दिनों बालकोनगर क्षेत्र में डीजल चोरी के कारनामे प्रकाश में आए थे। इस पर वाहन चालकों की सतर्कता का काफी असर रहा। उसके बाद से चालकों ने रिंग रोड पर वाहन खड़े करने के साथ चौकसी तेज की। कई स्तर पर सूचनाओं को मजबूत किया गया। हाल में ही अब नए कारनामे सिविल लाइन पुलिस थाना के अंतर्गत हो रहे हैं। रिंग रोड का बड़ा हिस्सा इसी थाना क्षेत्र में शामिल है। भारी वाहनों को लेकर गंतव्य की तरफ जाने वाले चालक अलग-अलग कारण से रास्ते में गाड़ी खड़ी करते हैं। जाम लगने से लेकर दूसरे कारण इसके लिए बताए गए हैं। स्थिति सामान्य होने पर गाडिय़ां यहां से आगे के लिए रवाना होती है। ऐसे में लंबा अंतराल होने पर चालकों को या तो नींद लग जाती है या फिर उनका ध्यान दूसरे काम में लग जाता है। मौके की ताक में रहने वाले चोर-उच्चक्के इन गाडिय़ों को निशाना बनाने के साथ डीजल की चोरी कर रहे हैं। बीते दो-तीन दिन में कई गाडिय़ों को चोरों ने अपना लक्ष्य बनाया और सैकड़ों लीटर डीजल पार कर दिया। इस तरह की हरकत से चालकों के सामने मुसीबत खड़ी हो रही है कि अब क्या किया जाए। उन्होंने अपने मालिक को इस बारे में जानकारी दी। वहां से सलाह मिलने पर पुलिस को सूचित किया गया। पीडि़त पक्ष चाहता है कि इस प्रकार के मामलों में सीधे तौर पर एफआईआर दर्ज करने के साथ जांच-पड़ताल की जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। बताया गया कि थाना पहुंचने पर बात सुनी जरूर जा रही है लेकिन इस बात पर जोर दिया जा रहा है कि वे घटना की लिखित शिकायत हमारे पास दें हम उन्हें बदले में पावती देंगे। पुलिस के इस रवैये ने वाहन मालिकों और चालकों को हैरानी में डाल दिया है कि आखिर यह सब क्यों।
पुराने कुख्यात गिरोह की सक्रियता के दावे
माना जा रहा है कि जिले में लंबे समय तक सक्रिय रहा डीजल चोर गिरोह एक बार फिर से सक्रिय हो गया है। मुफ्त के काम से हर महीने लाखों कमाने की लत लगने और बाद में रोक लगाए जाने से उसके सामने दिक्कतें है। ऐसे में खर्चे निकालने के लिए फिर से लाइन पकडऩी पड़ी है।